क्या जेंडर चेंज करने के सर्जरी के बाद किसी व्यक्ति को नाम बदलने की अनुमति दी जा सकती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट करेगा जांच
Amir Ahmad
10 Oct 2025 12:54 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट महत्वपूर्ण प्रश्न पर विचार और जांच करने वाला है कि क्या जेंडर परिवर्तन सर्जरी के बाद किसी व्यक्ति को नाम बदलने की अनुमति दी जा सकती है।
जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने सीनियर एडवोकेट एचआर मिश्रा (सहायक एडवोकेट वीआर तिवारी) से इस प्रश्न पर न्यायालय की सहायता करने का अनुरोध किया।
मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
कोर्ट ने वकीलों से कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा एक्स बनाम कर्नाटक राज्य एवं अन्य 2024 लाइव लॉ (कर) 529 और मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा डॉ. बेयोन्सी लैशराम बनाम मणिपुर राज्य एवं अन्य 2025 में पारित निर्णयों का अवलोकन करने को कहा।
बता दें, एक्स मामले (सुप्रा) में कर्नाटक हाईकोर्ट ने पिछले साल राज्य सरकार से जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1969 और उसके तहत बनाए गए नियमों में संशोधन का सुझाव देने को कहा था ताकि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 को प्रभावी बनाया जा सके, जिससे किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति के जन्म/मृत्यु प्रमाण पत्र में उसके नाम और जेंडर में परिवर्तन की अनुमति मिल सके।
डॉ. बेयोन्सी लैशराम मामले (सुप्रा) में मणिपुर हाईकोर्ट ने इस वर्ष की शुरुआत में यह व्यवस्था दी थी कि सरकारी अधिकारी ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 ('अधिनियम') की धारा 10 के तहत जिला मजिस्ट्रेट ('डीएम') द्वारा जारी पहचान प्रमाण पत्र के आधार पर नाम और जेंडर में सुधार करने के लिए बाध्य हैं, बिना प्रारंभिक संस्थान द्वारा सुधार किए जाने की प्रतीक्षा किए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट को यह मुद्दा शरद रोशन सिंह नामक व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान मिला, जिसने अपनी जेंडर चेंज सर्जरी के बाद आधिकारिक रिकॉर्ड में अपना नाम बदलने की मांग की थी।
शाहजहांपुर निवासी और सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत याचिकाकर्ता ने 2020 में अपना जेंडर परिवर्तन कराने का प्रयास शुरू किया। अंततः 2023 में यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की।
उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष भी आवेदन किया और जेंडर चेंज सर्टिफिकेट और पहचान पत्र प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने आधिकारिक रिकॉर्ड में अपना नाम सरिता से शरद में बदलने के लिए अदालत का रुख किया।

