केंद्रीय यूनिवर्सिटी जैसी सुविधाओं का दावा नहीं कर सकते घटक संस्थान के कर्मचारी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Amir Ahmad
17 Nov 2025 4:29 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी स्वायत्त संस्थान को केवल केंद्रीय यूनिवर्सिटी का घटक बना देने भर से उसके कर्मचारियों को केंद्रीय विश्वविद्यालय के कर्मचारियों जैसी सुविधाएं स्वतः नहीं मिल सकतीं।
अदालत ने कहा कि जब तक कोई विशिष्ट नीति या प्रावधान लागू न हो ऐसे लाभ देने का कोई आधार नहीं बनता।
जस्टिस सौरभ श्याम शम्शेरी की एकल पीठ ने यह फैसला जी.बी. पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान इलाहाबाद के कर्मचारियों द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए सुनाया। यह संस्थान भारतीय सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत एक स्वायत्त निकाय है। वर्ष 2005 में जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला तब इस संस्थान को यूनिवर्सिटी का घटक घोषित किया गया।
कर्मचारियों का तर्क था कि इस परिवर्तन के बाद उन्हें वही लाभ मिलने चाहिए, जो केंद्रीय यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों को मिलते हैं। उन्होंने सामान्य भविष्य निधि योजना के स्थान पर अंशदायी भविष्य निधि योजना लागू करने की मांग भी रखी। हालांकि, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद कर्मचारी हाईकोर्ट पहुँचे।
अदालत ने कहा कि संस्थान का स्वायत्त चरित्र बरकरार है और उसका वित्तीय ढांचा भी यूनिवर्सिटी से अलग है। ऐसी स्थिति में केवल घटक संस्थान की उपाधि के आधार पर केंद्रीय यूनिवर्सिटी नियम लागू नहीं किए जा सकते।
न्यायालय ने प्रियंकर उपाध्याय बनाम संघ सरकार के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों के मामले में भी ऐसे ही दावे को अस्वीकार किया गया।
सुप्रीम कोर्ट के महाराष्ट्र राज्य बनाम भगवान फैसले का उल्लेख करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतें ऐसे लाभ देने में अत्यंत सावधानी बरतें क्योंकि इससे भारी वित्तीय बोझ और कास्केडिंग इफेक्ट उत्पन्न हो सकता है। यह निर्णय लेने का अधिकार विशेषज्ञ निकायों और नीति-निर्माताओं का है न कि अदालत का।
अदालत ने पाया कि किसी भी नियम, विनियम या नीति में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो याचियों की मांग का समर्थन करता हो। इसलिए याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि घटक संस्थान के कर्मचारी केवल पदनाम या संबंध के आधार पर केंद्रीय यूनिवर्सिटी जैसी सुविधाओं के पात्र नहीं माने जा सकते।

