बृजभूषण शरण सिंह के सीएम को लिखे पत्र पर वकील की मानहानि शिकायत में पत्रकारों को तलब करने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया रद्द
Amir Ahmad
10 Sept 2025 2:22 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ खंडपीठ) ने हाल ही में एक अहम आदेश पारित करते हुए लखनऊ की विशेष सीजेएम अदालत द्वारा पारित उस आदेश को निरस्त किया जिसके तहत दो पत्रकारों को मानहानि के मामले में तलब किया गया था।
यह शिकायत एडवोकेट डॉ. मोहम्मद कमरान ने दायर की थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र के आधार पर प्रकाशित समाचार से उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है।
मामला संडे व्यूज़ अख़बार की रिपोर्ट से जुड़ा है, जिसके मालिक दिव्या श्रीवास्तव और संपादक संजय श्रीवास्तव को मजिस्ट्रेट ने 10 अप्रैल, 2023 को भारतीय दंड संहिता की धारा 500, 501 और 502 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए तलब किया था।
संबंधित समाचार 6 नवंबर 2022 को प्रकाशित हुआ था जिसका टाइटल मोहम्मद कमरान पत्रकार नहीं ब्लैकमेलर है: सांसद बृजभूषण सिंह।
शिकायत में कहा गया कि यह रिपोर्ट दो चिट्ठियों पर आधारित है, जो बृजभूषण शरण सिंह ने 25 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को लिखी थीं।
डॉ. कमरान का आरोप था कि समाचार निराधार अपमानजनक और उनकी छवि को धूमिल करने वाला है तथा इसे डिजिटल और सोशल मीडिया पर भी व्यापक रूप से प्रसारित किया गया।
पत्रकारों ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए दलील दी कि मजिस्ट्रेट ने तलब करने का आदेश पारित करते समय न तो प्रासंगिक प्रावधानों पर विचार किया और न ही भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के अंतर्गत उपलब्ध अपवादों पर। उनका कहना था कि समुचित कारण दर्ज किए बिना गैर-वक्तव्यात्मक आदेश पारित किया गया।
यह भी महत्वपूर्ण था कि डॉ. कमरान ने स्वयं बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ मानहानि का वाद दायर किया था, जिसे मार्च 2024 में हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया और जुलाई, 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उस आदेश को बरकरार रखा।
जस्टिस सौरभ लवानिया की एकलपीठ ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए कहा,
“अदालत की राय में मजिस्ट्रेट ने 10.04.2023 के आदेश को पारित करते समय मामले के सभी पहलुओं और प्रासंगिक कानून का पर्याप्त परीक्षण नहीं किया। इसलिए इसमें हस्तक्षेप आवश्यक है।”
इसी आधार पर हाईकोर्ट ने विशेष सीजेएम कोर्ट का आदेश निरस्त करते हुए मामले को पुनः विचारार्थ मजिस्ट्रेट को भेज दिया है ताकि वह शिकायत का दोबारा परीक्षण करें और कानून के अनुरूप एक कारणयुक्त आदेश पारित करें।
टाइटल: दिव्या श्रीवास्तव एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य गृह प्रमुख सचिव एवं अन्य

