कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में कंपनी के खिलाफ GST की धारा 73 के तहत आदेश पारित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Amir Ahmad

7 Aug 2024 9:18 AM GMT

  • कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में कंपनी के खिलाफ GST की धारा 73 के तहत आदेश पारित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि माल और सेवा कर अधिनियम 2017 (GST Act)की धारा 73 के तहत आदेश उस कंपनी के खिलाफ पारित नहीं किया जा सकता, जो दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के तहत है।

    GST Act की धारा 73 एक उचित अधिकारी को कार्यवाही शुरू करने का अधिकार देती है। यदि वह संतुष्ट है कि किसी भी कर का भुगतान नहीं किया गया, या कम भुगतान किया गया, या गलत तरीके से वापस किया गया, या जहां किसी भी करदाता द्वारा कर से बचने के लिए धोखाधड़ी या किसी जानबूझकर गलत बयान या तथ्यों को छिपाने के कारण के अलावा किसी भी कारण से इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत तरीके से लाभ उठाया गया है या उसका उपयोग किया गया।

    प्रतिवादी प्राधिकरण द्वारा GST Act की धारा 73 के तहत पारित आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता को धारा 73 के तहत कारण बताओ नोटिस 10.04.2024 को जारी किया गया। याचिकाकर्ता ने 12.04.2024 को अपने उत्तर में प्राधिकरण को सूचित किया कि याचिकाकर्ता CIRP के अंतर्गत था। अंतरिम समाधान पेशेवर से निर्देश प्राप्त करने के लिए प्राधिकरण से समय मांगा।

    यद्यपि याचिकाकर्ता को सुनवाई का कोई और अवसर नहीं दिया गया। न्यायालय ने पाया कि दिवालियेपन की प्रक्रिया को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण चेन्नई ने 15.04.2024 को रद्द कर दिया था।

    यह देखते हुए कि NCLAT के आदेश को मूल्यांकन प्राधिकारी को समय पर सूचित नहीं किया जा सका, जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की पीठ ने कहा,

    “स्पष्ट रूप से एक बार जब याचिकाकर्ता अंतरिम समाधान पेशेवर के समक्ष समाधान प्रक्रिया से गुजर रहा था। आईआरपी नियुक्ति के तथ्य को न्यायाधिकरण को सूचित किया गया तो उस CIRP के लंबित रहने के दौरान उसने विवादित आदेश पारित नहीं किया होगा। दिवाला एवं दिवालियापन संहिता की छत्रछाया 15.04.2024 को ही हटाई गई।”

    तदनुसार, न्यायालय ने धारा 73 के तहत पारित आदेश रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस का नया जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल- बीजीआर एनर्जी सिस्टम्स लिमिटेड बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य

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