इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SRM यूनिवर्सिटी को बिना मंजूरी के लॉ कोर्स चलाने के मामले में राहत दी

Amir Ahmad

11 Sept 2025 2:25 PM IST

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SRM यूनिवर्सिटी को बिना मंजूरी के लॉ कोर्स चलाने के मामले में राहत दी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (SRM) बाराबंकी और उसके अधिकारियों को FIR के संबंध में जबरन कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की। आरोपियों में यूनिवर्सिटी का रजिस्ट्रार भी शामिल है। इस FIR में आरोप लगाया गया कि यूनिवर्सिटी ने बिना किसी वैध मंजूरी के लॉ कोर्सों में स्टूडेंट्स का दाखिला लिया और उनकी परीक्षाएं आयोजित कीं।

    जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस सैयद क़मर हसन रिज़वी की खंडपीठ ने यह आदेश यूनिवर्सिटी और उसकी रजिस्ट्रार द्वारा दायर रिट याचिका पर पारित किया। इस याचिका में इसी महीने के शुरू में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 318(4), 338, 336(3), और 340(2) के तहत दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई।

    आरोपों के अनुसार यूनिवर्सिटी के पास शैक्षणिक वर्ष 2023-2024 और 2024-2025 के लिए लॉ कोर्स संचालित करने स्टूडेंट्स का दाखिला लेने और परीक्षा आयोजित करने की वैध अनुमति/मंजूरी नहीं थी। FIR में यूनिवर्सिटी को एकमात्र आरोपी बनाया गया। हालांकि, इसकी रजिस्ट्रार प्रोफेसर (डॉ.) नीरजा जिंदल ने भी अपनी गिरफ्तारी की आशंका के कारण अदालत का रुख किया।

    याचिकाकर्ताओं के वकील एडवोकेट अमित जायसवाल ने अदालत को बताया कि भारतीय विधिज्ञ परिषद (BCI) ने 3 सितंबर 2025 को इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज को तीन वर्षीय एलएल.बी और पांच वर्षीय बीबीए एलएल.बी (ऑनर्स) एकीकृत डिग्री कोर्स संचालित करने के लिए एक वर्ष की अवधि यानी शैक्षणिक वर्ष 2025-2026 के लिए अनंतिम संबद्धता की मंजूरी दी।

    अदालत को यह भी बताया गया कि BCI ने शैक्षणिक वर्ष 2023-2024 और 2024-2025 के दौरान किए गए दाखिलों को भी नियमित किया। बशर्ते कि लीगल एजुकेशन के नियम 2008 का अनुपालन किया जाए।

    अदालत ने इन दलीलों पर ध्यान देते हुए निर्देश दिया कि अगली सुनवाई की तारीख तक यूनिवर्सिटी और उसके अधिकारियों के खिलाफ FIR में कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा। यह राहत इस शर्त पर दी गई है कि वे जांच में पूरी तरह से सहयोग करेंगे।

    अदालत ने जांच एजेंसी को यह भी निर्देश दिया है कि वह रजिस्ट्रार को जांच के लिए आवश्यक अधिकारियों की सूची तीन दिनों के भीतर प्रदान करे। इसके बदले में यूनिवर्सिटी को 13 सितंबर तक इन अधिकारियों का विवरण प्रदान करने और 16 सितंबर को सुबह 11 बजे जांच अधिकारी के समक्ष उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कहा गया।

    खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि यदि यूनिवर्सिटी के अधिकारी सहयोग नहीं करते हैं तो अंतरिम सुरक्षा वापस ली जा सकती है। साथ ही अदालत ने जांच एजेंसी को भी चेतावनी दी है कि वह जांच को सख्ती से कानून के अनुसार करे और निष्कर्ष पर पहुंचे।

    मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध की गई और राज्य को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया।

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