पहलगाम आतंकी हमले पर टिप्पणी को लेकर रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ SIT जांच की मांग वाली याचिका खारिज
Amir Ahmad
2 May 2025 12:44 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस (Congress) नेता प्रियंका गांधी के पति और कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा द्वारा पहलगाम आतंकी हमले पर की गई हालिया टिप्पणी की SIT (विशेष जांच टीम) से जांच कराने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) खारिज की।
जस्टिस रंजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस (इसके अध्यक्ष वकील रंजना अग्निहोत्री के माध्यम से) से कहा कि वह कानून के तहत उपलब्ध वैकल्पिक उपायों जैसे कि FIR दर्ज कराना या आपराधिक शिकायत दाखिल करना अपनाएं।
जनहित याचिका में आरोप था कि वाड्रा के उकसाऊ बयान ने हिंदू समुदाय के बीच भय और अशांति का माहौल बना दिया, जो भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152, 302 और 399 के तहत आता है।
याचिका में दावा किया गया कि रॉबर्ट वाड्रा का बयान हेट स्पीच का उदाहरण है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि वे 'गजवा-ए-हिंद' के एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वाड्रा ने कहा था कि पहलगाम में गैर-मुस्लिमों पर इसलिए हमला किया गया, क्योंकि आतंकियों को लगता है कि देश में मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है।
याचिका में कहा गया,
“रॉबर्ट वाड्रा द्वारा दिए गए बयान में कहा गया कि हिंदुओं की हत्या इसलिए की गई, क्योंकि वे अपने धर्म का प्रचार कर रहे थे। मुसलमान खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं। यह एक प्रकार से शिकार को ही दोष देने जैसा है, जो राजनीतिक लाभ और तुष्टिकरण के उद्देश्य से प्रेरित है।”
इसके साथ ही याचिका में वाड्रा के इस कथित बयान पर भी आपत्ति जताई गई कि राज्य हिंदू धर्म को बढ़ावा दे रहा है। हिंदुत्व को आतंकी हमले के औचित्य के रूप में प्रस्तुत कर रहा है।
याचिका में तर्क दिया गया,
“राज्य किसी धर्म का प्रचार या अभ्यास करने को नहीं कहता। भारत का संविधान (अनुच्छेद 25 से 30) हर नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता देता है। भारत किसी भी धर्म का विरोधी नहीं है।”
इन सब तथ्यों के आधार पर याचिकाकर्ता ने SIT जांच की मांग की और यह पता लगाने की अपील की कि वाड्रा जैसे विभाजनकारी, उकसाऊ और असंवेदनशील बयान के पीछे कौन से तत्व सक्रिय हैं।
इसके अतिरिक्त याचिका में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश देने की मांग की गई कि वे रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ BNS की धारा 299, 152 और 302 के तहत उचित कार्रवाई करें।

