इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान और उन्हें निर्वासित करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
Amir Ahmad
6 Aug 2025 4:51 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) पर केंद्र सरकार भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। इस याचिका में राज्य में रह रहे अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान और उन्हें निर्वासित करने के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण और सत्यापन अभियान चलाने की मांग की गई।
जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस मनीष कुमार की खंडपीठ ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस महानिदेशक (DGP) भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के महानिदेशक और खुफिया ब्यूरो (IB) के महानिदेशक सहित प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर याचिका पर अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र कुमार ने एक जनहित याचिका दायर कर अधिकारियों को विदेशी अधिनियम 1946 के तहत प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की, जो अवैध विदेशियों की पहचान, हिरासत और निर्वासन का आदेश देता है।
याचिका में आरोप लगाया गया कि कानून के प्रावधानों के बावजूद उत्तर प्रदेश के अधिकारी इस मुद्दे के समाधान के लिए पर्याप्त कदम उठाने में विफल रहे हैं।
याचिकाकर्ता का दावा है कि बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी उत्तर प्रदेश सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रवेश कर बस गए हैं।
याचिका में तर्क दिया गया कि ये अप्रवासी आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड और यहां तक कि भारतीय पासपोर्ट जैसे फर्जी पहचान पत्र हासिल करने में सफल रहे हैं। याचिका में आगे कहा गया कि इन दस्तावेजों के साथ वे भारतीय नागरिकों के लिए बनाई गई सरकारी योजनाओं और लाभों का लाभ उठा रहे हैं।
इससे यह भी चिंता पैदा होती है कि ऐसे व्यक्ति इन आधिकारिक पहचान पत्रों को कैसे हासिल कर पा रहे हैं।
इस संबंध में, जनहित याचिका में भारत के चुनाव आयोग (ECI) और UIDAI से अवैध अप्रवासियों को आधार और मतदाता पहचान पत्र जारी करने की जांच करने और ज़िम्मेदार पाए गए अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया।
याचिका में ऐसे अप्रवासियों की निरंतर उपस्थिति से उत्पन्न कानून-व्यवस्था की चिंताओं को भी रेखांकित किया गया है। इसमें मानव तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी, भूमि अतिक्रमण और संगठित आपराधिक गतिविधियों सहित गंभीर अपराधों से उनके संबंधों का आरोप लगाया गया।
जनहित याचिका में आगे चेतावनी दी गई कि इनमें से कुछ प्रवासी कट्टरपंथी संगठनों से भी जुड़े हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, मज़बूत सीमा नियंत्रण और निगरानी के अभाव ने भारत के भीतर ऐसे नेटवर्क स्थापित करने में मदद की है।
आगे की घुसपैठ को रोकने के लिए जनहित याचिका में बायोमेट्रिक और निगरानी-आधारित ट्रैकिंग प्रणाली लागू करने की मांग की गई।
इसमें दिसंबर, 2024 की विशिष्ट घटना का भी ज़िक्र है, जिसमें इंदिरा नगर में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान 150-200 कथित अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की भीड़ ने लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों पर हमला किया था।
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह घटना ऐसे व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने में बढ़ती चुनौती को उजागर करती है, क्योंकि वे अब प्रवर्तन कार्रवाई का विरोध करने के लिए मज़बूत स्थानीय नेटवर्क स्थापित कर रहे हैं।

