हलफनामे लापरवाही और सुस्ती से दायर किए जा रहे हैं; राज्य प्राधिकरण, सरकारी वकील लापरवाही से काम कर रहे हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Amir Ahmad
27 Sept 2024 11:51 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाया कि राज्य प्राधिकरणों और साथ ही न्यायालय में उनका प्रतिनिधित्व करने वाले सरकारी वकीलों द्वारा दायर किए जा रहे हलफनामे बहुत ही सुस्त तरीके से दायर किए जा रहे हैं। यहां तक कि हस्ताक्षर करने से पहले उचित पठन के बिना भी।
स्टाम्प ड्यूटी के मूल्यांकन से संबंधित एक मामले से निपटते समय जहां 2 वर्षों से प्रति-हलफनामा दायर नहीं किया गया, न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट भदोही से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा, जिससे यह स्पष्ट किया जा सके कि न्यायालय के कई आदेशों के बावजूद प्रति-हलफनामा क्यों दायर नहीं किया गया।
जिला मजिस्ट्रेट द्वारा कथित रूप से दायर व्यक्तिगत हलफनामे का अवलोकन करते हुए न्यायालय ने पाया कि यद्यपि हलफनामे के पहले पृष्ठ पर यह कहा गया कि जिला मजिस्ट्रेट का व्यक्तिगत हलफनामा अगले पृष्ठ पर यह लिखा कि पुलिस आयुक्त लखनऊ का व्यक्तिगत हलफनामा और फिर से अभिसाक्षी पैराग्राफ में जिला मजिस्ट्रेट का उल्लेख किया गया। हलफनामे में यह आरोप लगाया गया कि न्यायालय के आदेश के संबंध में पहला संचार 30.08.2024 को प्राप्त हुआ था। डीएम को जवाबी हलफनामे के लिए पिछले आदेशों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
न्यायालय उक्त हलफनामे के पैरा 4 में किए गए आगे के कथनों को देखकर आश्चर्यचकित है, जिसमें यह कहा गया कि हाईकोर्ट को उपरोक्त याचिका में पारित पिछले आदेशों के बारे में पहली बार ऋषि कुमार, एडिशनल चीफ सरकारी वकील माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा 30.8.2024 को भेजे गए फैक्स दिनांक 30.8.2024 को प्राप्त होने के बाद जानकारी मिली।"
जस्टिस पीयूष अग्रवाल ने कहा,
"उक्त पैराग्राफ को पढ़ने से न्यायालय यह नहीं समझ पाया कि अभिसाक्षी न्यायालय के समक्ष वास्तव में क्या कहना चाहता है।"
न्यायालय ने माना कि हलफनामे दाखिल करने के तरीके के संबंध में अतीत में कई रियायतें दिए जाने के बावजूद सरकारी वकील और राज्य प्राधिकरण लापरवाह तरीके से काम कर रहे थे। न्यायालय ने यह देखते हुए कि न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के एडवोकेट जनरल और प्रमुख सचिव (विधि) एवं विधि, उत्तर प्रदेश को इस तथ्य का संज्ञान लेने का आदेश दिया था कि हलफनामे लापरवाही से दाखिल किए जा रहे हैं और उस वकील के खिलाफ कार्रवाई की जाए जिसने उस अन्य मामले में हलफनामा तैयार किया था न्यायालय ने इस मामले के लिए भी यही आदेश दिया
न्यायालय ने आगे निर्देश दिया कि हलफनामों के संबंध में इन आदेशों की प्रति राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों के वर्तमान बैच की नियुक्ति को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई कर रही पीठ के समक्ष रखी जाए।
केस टाइटल- इंद्रावती देवी और 2 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 4 अन्य