पुलिस द्वारा समन की तामील करने और न्यायिक निर्देशों का पालन करने में विफलता कानूनी प्रणाली के सुचारू संचालन में बाधा डालती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Amir Ahmad
27 Feb 2025 5:54 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस मंजू रानी चौहान ने कहा कि पुलिस अधिकारियों द्वारा समन की तामील और न्यायिक आदेशों के निष्पादन में देरी कानूनी प्रणाली के सुचारू संचालन में महत्वपूर्ण बाधा उत्पन्न करती है।
न्यायालय ने कहा,
“उनकी उदासीनता और अकुशलता अनुचित देरी में योगदान करती है, जिससे पहले से ही लंबित मामलों की संख्या और बढ़ जाती है और न्याय के शीघ्र वितरण में गंभीर बाधा उत्पन्न होती है। कर्तव्य की यह उपेक्षा न केवल कानूनी कार्यवाही को लम्बा खींचती है, जिससे वादियों को अनावश्यक कठिनाई और वित्तीय तनाव का सामना करना पड़ता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की प्रभावकारिता और अखंडता में जनता का विश्वास भी खत्म होता है।”
यह देखते हुए कि न्यायपालिका पुलिस सहित विभिन्न हितधारकों के साथ समन्वय में काम करती है, जस्टिस चौहान ने कहा,
"इस संबंध में पुलिस की विफलता संस्थागत उदासीनता और अक्षमता की धारणा को बढ़ावा देती है, जो न्याय वितरण तंत्र में जनता के विश्वास की नींव को हिला देती है।"
आरोप पत्र रद्द करने के मामले में प्रतिवादियों को समन जारी किया गया। अदालत के समक्ष उपस्थित अतिरिक्त सरकारी वकील समन की सेवा की स्थिति नहीं बता सके। समन की स्थिति पर कोई रिपोर्ट नहीं थी, इसलिए अदालत ने पुलिस अधीक्षक, फतेहपुर को अदालत के समक्ष उपस्थित होने और यह बताने का निर्देश दिया कि अदालत के आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है।
अदालत ने उल्लेख किया कि इससे पहले विजय कुशवाहा और 3 अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य में अदालत ने अनुचित देरी का कारण बताने के लिए पुलिस अधीक्षक से हलफनामा मांगा। उनके जवाब को असंतोषजनक पाते हुए अदालत ने स्पष्टीकरण के लिए सरकारी वकील को तलब किया। वहीं अदालत ने अदालत द्वारा पारित पिछले आदेशों के बारे में उनकी अनभिज्ञता पर ध्यान दिया।
"जागरूकता की कमी के कारण हलफनामा अपर्याप्त रहा जो न केवल अनुपालन में लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि न्यायिक निर्देशों के प्रति चिंताजनक उपेक्षा को भी दर्शाता है जिससे कानूनी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और कम होती है।"
इसके अलावा न्यायालय ने कहा कि यद्यपि पुलिस अधीक्षक की ओर से दायर हलफनामा सरकारी वकील द्वारा लिखा गया लेकिन उनके निजी सचिव ने हलफनामे के पहले भाग में नाम बदल दिया। अभिलेखों के साथ जानबूझकर की गई इस छेड़छाड़ को अधिकारों का अनुचित हस्तांतरण माना गया, लेकिन सरकारी अधिवक्ता के कार्यालय के भीतर प्रक्रियात्मक औचित्य के प्रति घोर उपेक्षा को भी उजागर किया।
न्यायालय ने आगे कहा कि पिछले आदेश के बारे में जानकारी के सवाल का सामना करने पर सरकारी वकील ने अदालत को सौंपे गए एडिशनल सरकारी वकील पर जिम्मेदारी डाल दी। सहकर्मियों पर दोष मढ़ना चूक की जिम्मेदारी लेने की अनिच्छा को दर्शाता है और सरकारी कानूनी अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी न्यायिक आदेश के प्रति संस्थागत उदासीनता का गहरा मुद्दा दिखाती है।
यह देखते हुए कि सरकारी वकील ने प्रासंगिक न्यायिक आदेशों को ध्यान में रखे बिना हलफनामा दायर किया, जस्टिस चौहान ने कहा,
“यदि कानून के शासन को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति ही इस तरह का उदासीन रवैया दिखाता है तो यह राज्य के कानूनी तंत्र की विश्वसनीयता पर छाया डालता है। न्यायिक प्रक्रिया को गंभीर रूप से बाधित करता है। सरकारी वकील की भूमिका केवल प्रक्रियात्मक नहीं है बल्कि यह सुनिश्चित करने का कर्तव्य भी है कि कानूनी कार्यवाही न्यायिक मिसाल के अनुसार परिश्रम और अनुपालन के साथ की जाए। हालांकि, जब ऐसा उच्च पदस्थ अधिकारी उचित प्रक्रिया के प्रति इस तरह की अवहेलना करता है, तो यह कानूनी प्रणाली में शामिल होने के इच्छुक अन्य लोगों के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम करता है।”
इस बात पर जोर देते हुए कि सरकारी वकील के निजी सचिव की भूमिका केवल लिपिकीय है, न्यायालय ने माना कि वह हलफनामे में ऐसे महत्वपूर्ण बदलाव नहीं कर सकता था, जिससे न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता कम हो और सरकारी वकील के कार्यालय के कामकाज पर सवाल उठे।
"इस न्यायालय के समक्ष जो घटनाएं सामने आई हैं, वे आश्चर्यजनक और अत्यंत विचलित करने वाली हैं, जो न्यायिक प्राधिकरण और प्रक्रियात्मक अखंडता के प्रति घोर उपेक्षा को उजागर करती हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की घोर लापरवाही साथ ही कानूनी कार्यवाही में अनुचित हस्तक्षेप, न्याय प्रणाली की नींव पर प्रहार करता है। इस तरह का घोर दुराचार पूरी तरह से अक्षम्य है और भविष्य में किसी भी तरह की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए तत्काल बिना किसी समझौते के सुधारात्मक कार्रवाई की मांग करता है।"
न्यायालय ने सरकारी वकील को सूचीबद्ध होने की अगली तिथि से पहले बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।