नेशनल हाईवे एक्ट के तहत पुनर्वास और पुनर्स्थापन के दावों की जांच का अधिकार कलेक्टर को नहीं, सक्षम प्राधिकरण को है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Amir Ahmad

31 July 2025 1:01 PM IST

  • नेशनल हाईवे एक्ट के तहत पुनर्वास और पुनर्स्थापन के दावों की जांच का अधिकार कलेक्टर को नहीं, सक्षम प्राधिकरण को है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    रणवीर सिंह एवं 35 अन्य बनाम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एवं भूमि अधिग्रहण के लिए सक्षम प्राधिकारी एवं 2 अन्य मामले में समन्वय पीठ के पूर्व निर्णय से भिन्न होते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा 3(A) के तहत अधिग्रहित भूमि के लिए पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन संबंधी दावों पर निर्णय कलेक्टर नहीं बल्कि सक्षम प्राधिकारी को करना चाहिए और आवर्ड घोषित करना चाहिए।

    जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कहा,

    "हमने देखा कि रणवीर सिंह (सुप्रा) मामले में मुद्दा यह था कि क्या अधिनियम 2013 के तहत पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के प्रावधान राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत किए गए अधिग्रहणों पर लागू होंगे या नहीं। रणवीर सिंह (सुप्रा) मामले में दिए गए निर्णय का अनुपात इस न्यायालय पर बाध्यकारी है, न कि जारी किए गए निर्देश। उक्त आदेश के कार्यकारी भाग में, क्योंकि यह उक्त मामले का अनुपात निर्णायक नहीं है। इसलिए हमें इस मामले में राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा 3(ए) में परिभाषित सक्षम प्राधिकारी को पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन से संबंधित दावे की जाँच करने और तदनुसार निर्णय घोषित करने का निर्देश देने में कोई संकोच नहीं है।”

    रणवीर सिंह एवं 35 अन्य बनाम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एवं भूमि अधिग्रहण हेतु सक्षम प्राधिकारी एवं 2 अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक समन्वय पीठ ने माना था कि भूमि अधिग्रहण पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकर एवं पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 के प्रावधान राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत किए गए अधिग्रहणों पर लागू होंगे।

    उन्होंने यह भी माना कि NHAI पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापन हेतु प्रस्ताव कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है, जो 2013 के अधिनियम की धारा 31 के तहत निर्णय पारित कर सकते हैं।

    याचिकाकर्ताओं ने अपनी अधिग्रहीत भूमि के लिए अधिनियमों के अनुसार पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापन हेतु निर्णय की मांग करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

    NHAI के वकील ने तर्क दिया कि केवल सक्षम प्राधिकारी ही ऐसा निर्णय पारित कर सकता है, कलेक्टर नहीं। यह बताया गया कि रणवीर सिंह मामले में दिए गए निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस सीमित पहलू पर नोटिस जारी किया गया।

    उनके तर्क को बल देते हुए न्यायालय ने कहा,

    "राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा 3(ए) के तहत परिभाषित सक्षम प्राधिकारी ही पुनर्वास और पुनर्स्थापन से संबंधित दावों की जांच करने और तदनुसार निर्णय देने के लिए अधिकृत होगा न कि ज़िले का कलेक्टर।"

    यह देखते हुए कि न्यायालय के समक्ष निर्णय घोषित करने के लिए बड़ी संख्या में मामले आ रहे हैं। न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में एक परिपत्र जारी करके कानूनी स्थिति स्पष्ट करे ताकि निर्णय पारित करने के लिए न्यायालय के समक्ष दायर होने वाली याचिकाओं की संख्या कम हो सके।

    केस टाइटल: राजेंद्र सिंह एवं 5 अन्य बनाम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एवं 2 अन्य

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