अंतरिम रोक लगाने वाली एप्लीकेशन में पास किए गए इंटरलोक्यूटरी ऑर्डर के खिलाफ रिवीजन मेंटेनेबल नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Amir Ahmad

25 Nov 2025 1:04 PM IST

  • अंतरिम रोक लगाने वाली एप्लीकेशन में पास किए गए इंटरलोक्यूटरी ऑर्डर के खिलाफ रिवीजन मेंटेनेबल नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अंतरिम रोक लगाने वाली एप्लीकेशन में पास किए गए इंटरलोक्यूटरी ऑर्डर के खिलाफ रिवीजन मेंटेनेबल नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इसे रिट ज्यूरिस्डिक्शन में चैलेंज किया जा सकता है।

    1985 में मृतक ने रेस्पोंडेंट नंबर 5 के फेवर में एक वसीयत लिखी थी। इसके बाद रेस्पोंडेंट नंबर 4 और याचिकाकर्ता के फेवर में क्रमशः दूसरी और तीसरी वसीयत लिखी गईं। वसीयत करने वाले की मौत के बाद रेस्पोंडेंट नंबर 5 ने याचिकाकर्ता के फेवर में लिखी गई वसीयत को छिपाकर रेवेन्यू रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा लिया।

    इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने यूपी ज़मींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम के तहत एक डिक्लेरेटरी सूट दायर किया, साथ ही अंतरिम रोक के लिए एक एप्लीकेशन भी दी। सब-डिविजनल ऑफिसर ने एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया कि ज़मीन ट्रांसफर नहीं की जाएगी और यथास्थिति बनाए रखी जाएगी।

    हालांकि रेस्पोंडेंट ने सब-डिविजनल ऑफिसर द्वारा पारित इंटरलोक्यूटरी ऑर्डर के खिलाफ अधिनियम की धारा 333 के तहत एडिशनल कमिश्नर के सामने एक रिवीजन दायर किया। रिवीजन स्वीकार कर लिया गया और उपरोक्त आदेश पर रोक लगा दी गई।

    कोर्ट ने रिकॉर्ड की जांच की और कहा कि इंटरलोक्यूटरी ऑर्डर के खिलाफ रिवीजन दायर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने आगे कहा कि पुनर्विचार अदालत द्वारा पारित आदेश में कोई कारण नहीं बताया गया था।

    जस्टिस इरशाद अली ने कहा,

    "यह साफ है कि अंतरिम रोक लगाने वाली एप्लीकेशन में पास किए गए इंटरलोक्यूटरी ऑर्डर के खिलाफ रिवीजन मेंटेनेबल नहीं है, इसलिए यह आदेश अपने आप में गैरकानूनी लगता है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।"

    यह मानते हुए कि ऐसे आदेश के खिलाफ रिट याचिका मेंटेनेबल है, कोर्ट ने कहा कि विवादित आदेश बिना किसी कारण के था, इसलिए इसे रद्द कर दिया गया।

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