उचित चालान के साथ रजिस्टर्ड निर्माता से सीलबंद पैकेट खरीदने पर रेस्तरां कच्चे माल की गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Amir Ahmad
11 Feb 2025 10:31 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि खाद्य व्यवसाय संचालक को उसके द्वारा उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल की गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, जब उसे उचित चालान के साथ रजिस्टर्ड निर्माताओं से सीलबंद पैकेट में खरीदा गया हो।
गोल्डी मसाला द्वारा निर्मित हल्दी पाउडर में लेड क्रोमेट मिला होने के मामले में जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने कहा,
“यदि कोई खाद्य व्यवसाय संचालक जैसे कि रेस्तरां किसी रजिस्टर्ड निर्माता से उचित चालान के साथ सीलबंद पैकेट में कोई कच्चा माल या खाद्य सामग्री खरीदता है तो यह माना जाएगा कि खाद्य सामग्री या खाद्य सामग्री मानक गुणवत्ता की है। यदि सीलबंद पैकेट में खाद्य सामग्री असुरक्षित पाई जाती है तो प्रथम दृष्टया उत्तरदायित्व उसके रजिस्टर्ड निर्माता या उसके वितरक का होगा, न कि रेस्तरां का, जब तक कि पैकेट की सील या उसके चालान पर विवाद या संदेह न हो।”
पूरा मामला
आवेदक-1, पीयूष गुप्ता, आवेदक-2 के रेस्टोरेंट में कार्यरत है, जो विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार करता है और बेचता है। 21.3.2023 को परिसर की तलाशी के दौरान मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने आवेदक-2 के परिसर से गोल्डी मसाला ब्रांड के हल्दी पाउडर के चार पैकेट खरीदे और उन्हें जांच के लिए राजकीय खाद्य प्रयोगशाला लखनऊ भेजा। खाद्य नमूनों में लेड क्रोमेट पाया गया और उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया।
आयुक्त खाद्य सुरक्षा लखनऊ से अनुमति प्राप्त करने के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी, शाहजहांपुर द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई। मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लिया और खाद्य सुरक्षा और सुरक्षा अधिनियम, 2006 की धारा 59 (1) के तहत समन जारी किया, जिसे आवेदक ने चुनौती दी।
आवेदकों के वकील ने तर्क दिया कि आवेदक केवल हल्दी से भोजन तैयार करने में शामिल था और हल्दी बेचने में नहीं। यह तर्क दिया गया कि ब्रांडेड कंपनी की सीलबंद पैकेजिंग में किसी भी दोष के लिए निर्माता को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए न कि आवेदक को, क्योंकि वह अधिनियम की धारा 26 के तहत खाद्य व्यवसाय संचालक था। यह भी कहा गया कि अधिनियम की धारा 27 के तहत निर्माता की तरह आवेदक को पूर्ण रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
हाईकोर्ट का फैसला
अदालत ने पाया कि हल्दी पाउडर अधिनियम की धारा 3(1)(y) की परिभाषा के अंतर्गत खाद्य घटक है। इसे खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियम, 2011 के विनियमन 2.9.18 में मानकों के साथ खाद्य उत्पाद के रूप में सूचीबद्ध किया गया। हल्दी पाउडर के लिए किए गए परीक्षणों में विशेष रूप से प्रावधान है कि इसमें लेड क्रोमेट के लिए नकारात्मक परीक्षण होना चाहिए।
इसके अलावा अधिनियम की धारा 3(1)(n) में परिभाषित "खाद्य व्यवसाय" और धारा 3(1)(o) में परिभाषित "खाद्य व्यवसाय संचालक" की परिभाषा को देखते हुए न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि रेस्तरां खाद्य सामग्री के लिए खाद्य व्यवसाय संचालक नहीं हो सकता, जब तक कि वे उसके द्वारा बेचे न जाएं।
न्यायालय ने पाया कि आवेदक को शर्बत और शर्बत सहित खाद्य बर्फ, डेयरी उत्पादों सहित पेय पदार्थ और तैयार खाद्य पदार्थों के लिए लाइसेंस दिया गया। इसने आगे कहा कि विनियमों की अनुसूची 2 में फॉर्म बी के अनुलग्नक-3 में खाद्य व्यवसाय संचालकों के लाइसेंस की शर्तों का प्रावधान है। शर्त 9 लाइसेंसधारी पर यह दायित्व डालती है कि वह सुनिश्चित करे कि उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल का स्रोत और मानक इष्टतम गुणवत्ता के हैं।
शर्त 14 में कहा गया कि खाद्य उत्पाद लाइसेंसधारी/पंजीकृत विक्रेताओं से ही लाए जाने चाहिए और उनका रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए।
जस्टिस देशवाल ने कहा कि धारा 26 खाद्य व्यवसाय संचालक पर यह सुनिश्चित करने का दायित्व डालती है कि अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन में कोई भी खाद्य वस्तु संग्रहीत न की जाए। साथ ही अधिनियम के सभी प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
न्यायालय ने माना कि अधिनियम की धारा 80 के तहत आवेदक के पास कुछ बचाव उपलब्ध हैं, जिसमें अधिनियम, 2006 में उल्लिखित सभी शर्तों का अनुपालन करके उचित सावधानी का बचाव शामिल है। इसने कहा कि बचाव ट्रायल चरण में और शिकायत कार्यवाही को रद्द करने के लिए धारा 482 Cr.P.C./528 B.N.S.S. के तहत कार्यवाही में लिया जा सकता है।
न्यायालय ने यह माना कि दायित्व निर्माता का है तथा आवेदक ने हल्दी पाउडर एक प्रतिष्ठित निर्माता से निःसंदेह बिलों के साथ खरीदा था तथा अधिनियम के तहत सभी शर्तों को पूरा किया।
“वर्तमान मामले में यह विवाद का विषय नहीं है कि आवेदक ने हल्दी पाउडर लाइसेंस प्राप्त/रजिस्टर्ड निर्माता से खरीदा है और हल्दी पाउडर के निर्माता द्वारा चालान के आधार पर गुणवत्ता और मानक के बारे में दी गई जानकारी पर भरोसा किया तो ऐसी परिस्थितियों में यदि पंजीकृत/लाइसेंस प्राप्त निर्माता द्वारा इसकी गुणवत्ता की गारंटी के बावजूद हल्दी पाउडर असुरक्षित पाया जाता है तो उस स्थिति में हल्दी पाउडर बेचने का व्यवसाय करने वाला खाद्य व्यवसाय संचालक या उसका वितरक उत्तरदायी होगा, न कि रेस्तरां या उसका मालिक या खाद्य पदार्थ बेचने वाला उसका कोई कर्मचारी।”
आवेदकों के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को गोल्डी मसाला हल्दी पाउडर के निर्माता/वितरक के खिलाफ चालान जारी करने के लिए आगे बढ़ने की स्वतंत्रता दी, जबकि उत्पाद उसकी गुणवत्ता जांच को पूरा नहीं करता था।
केस टाइटल: पीयूष गुप्ता और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य [आवेदन धारा 482 संख्या - 25418/2024]