लापता व्यक्तियों की तलाश में सरकार की उदासीनता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, गृह विभाग के प्रमुख सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा तलब
Amir Ahmad
24 Dec 2025 4:25 PM IST

लापता व्यक्तियों की तलाश में राज्य प्रशासन के लचर और उदासीन रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने उनसे न केवल एक याचिकाकर्ता की शिकायत पर अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है बल्कि यह भी स्पष्ट करने को कहा कि 1 जनवरी, 2024 के बाद राज्य के पोर्टल पर कितनी गुमशुदगी की शिकायतें दर्ज हुईं और उनमें से कितने मामलों में लोगों को खोज निकाला गया।
यह आदेश जस्टिस अब्दुल मोइन और जस्टिस बबीता रानी की खंडपीठ ने उस याचिका पर पारित किया, जिसमें एक पिता ने अपने 32 वर्षीय बेटे के जुलाई 2024 से लापता होने के बावजूद पुलिस द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई न किए जाने की शिकायत की थी।
याचिकाकर्ता ने 17 जुलाई, 2024 को अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी लेकिन कोई ठोस कदम न उठाए जाने पर उन्होंने 27 नवंबर, 2025 को हाईकोर्ट का रुख किया।
मामले की पहली सुनवाई में कोर्ट ने इसे गंभीर विषय बताते हुए खासतौर पर इसलिए कि व्यक्ति राजधानी लखनऊ से लापता हुआ था पुलिस कमिश्नर, लखनऊ को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
हालांकि कोर्ट ने पाया कि FIR भी तब दर्ज की गई जब हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
“यह स्पष्ट है कि जुलाई, 2024 में राज्य की राजधानी से व्यक्ति के लापता होने के बावजूद प्रशासन तब सक्रिय हुआ जब इस न्यायालय ने 1 दिसंबर, 2025 को संज्ञान लिया। लगभग डेढ़ वर्ष बाद अब जाकर लापता व्यक्ति को खोजने के प्रयास शुरू किए गए।”
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि पोर्टल पर अपलोड की गई गुमशुदगी की शिकायतों पर आमतौर पर तभी कार्रवाई होती है, जब अदालत का कोई आदेश आता है।
इस पर कोर्ट ने राज्य के दृष्टिकोण की तीखी आलोचना की।
खंडपीठ ने कहा,
“यह एक कल्याणकारी राज्य से अपेक्षित नहीं है कि नागरिक को अपनी शिकायत पर कार्रवाई करवाने के लिए राज्य के सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़े, जबकि गुमशुदगी की शिकायत पहले से ही सरकारी पोर्टल पर दर्ज हो।”
इन टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) को निर्देश दिया कि वे व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर याचिकाकर्ता के पुत्र से संबंधित जांच की स्थिति बताएं। साथ ही 1 जनवरी 2024 के बाद दर्ज सभी गुमशुदगी की शिकायतों की संख्या, उनमें से कितने मामलों का निस्तारण हुआ और पोर्टल पर शिकायत दर्ज होने के बाद उन्हें निपटाने की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत करें।

