निर्माण अनुमति की अर्जी लंबित रखने पर बिल्डर को देरी का दोष नहीं दिया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की रद्दीकरण कार्रवाई को किया खारिज
Amir Ahmad
7 July 2025 12:50 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) द्वारा निर्माण की अनुमति की अर्जी लंबित रखी गई हो तो बिल्डर को पट्टा करार में निर्धारित समय सीमा में फ्लैट न बनाने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
जस्टिस प्रकाश पडिया की एकल पीठ ने काइनेटिक बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्राधिकरण द्वारा पट्टा रद्द करने की कार्रवाई खारिज की।
अदालत ने कहा,
“जब विकास प्राधिकरण ने निर्माण की अनुमति देने की अर्जी को अपने पास लंबित रखा तो यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता ने निर्धारित समय में निर्माण कार्य नहीं किया।”
मामले में याचिकाकर्ता को GNIDA ने सेक्टर-10 ग्रेटर नोएडा में 64,000 वर्ग मीटर क्षेत्र का ग्रुप हाउसिंग प्लॉट आवंटित किया था और बाद में पट्टा निष्पादित हुआ।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्राधिकरण ने कागजों में कब्जा दिखा दिया लेकिन वास्तव में कब्जा दिया ही नहीं गया। कब्जा प्रमाण पत्र याचिकाकर्ता को पहली बार तब दिखा जब वह अदालत में सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किया गया।
साथ ही यह भी दलील दी गई कि GNIDA ने एकतरफा साइट प्लान में बदलाव किए लेकिन सुधार या अनुपूरक करार निष्पादित नहीं किया। इसी वजह से प्रीमियम और अन्य देयों का भुगतान भी प्रभावित हुआ।
अदालत ने पाया कि कब्जा प्रमाण पत्र पर याचिकाकर्ता के हस्ताक्षर नहीं थे यानी कब्जा वास्तव में नहीं दिया गया।
अदालत ने कहा,
“संशोधित साइट प्लान के अनुसार भूखंड का भौतिक कब्जा न देने और सुधार/संपूरक करार न करने की स्थिति में प्रीमियम की देयता याचिकाकर्ता पर नहीं डाली जा सकती और यह पट्टा करार की शर्तों के खिलाफ है। अतः इसी आधार पर आवंटन रद्द नहीं किया जा सकता।”
अदालत ने यह भी कहा कि जब तक निर्माण योजना की अनुमति की अर्जी पर निर्णय नहीं होता याचिकाकर्ता निर्माण कार्य शुरू नहीं कर सकता और न ही धन जुटा सकता है।
अंततः अदालत ने याचिकाकर्ता की आवंटन रद्द करने वाली चिट्ठी रद्द कर दी।
केस टाइटल: एम/एस काइनेटिक बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य [WRIT - C No. - 16306 of 2023]

