JJ Act : FIR दर्ज करने का निर्देश देने का अधिकार बाल कल्याण समिति को नहीं, केवल उल्लंघन की रिपोर्ट दे सकती है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

Amir Ahmad

31 Oct 2025 8:00 PM IST

  • JJ Act : FIR दर्ज करने का निर्देश देने का अधिकार बाल कल्याण समिति को नहीं, केवल उल्लंघन की रिपोर्ट दे सकती है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 (JJ Act) के तहत गठित बाल कल्याण समिति (CWC) के पास पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देने की कोई शक्ति नहीं है।

    जस्टिस चवन प्रकाश ने यह भी कहा कि यदि CWC बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 का उल्लंघन पाती है तो वह केवल किशोर न्याय बोर्ड या संबंधित पुलिस प्राधिकरण को रिपोर्ट भेज सकती है।

    यह फैसला बदायूं की CWC द्वारा पारित आदेश रद्द करते हुए आया, जिसने नाबालिग लड़की के विवाहित और गर्भवती पाए जाने के बाद पुलिस को 2006 के अधिनियम के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश दिया था।

    संक्षेप में मामला

    लड़की के पिता ने चार आरोपियों के खिलाफ अपहरण और यौन अपराधों के तहत FIR दर्ज कराई थी। जाँच के दौरान लड़की के स्कूल प्रमाण पत्र से उसकी उम्र लगभग 17 वर्ष पाई गई और मेडिकल जांच में वह गर्भवती मिली। इसके बाद उसे CWC के समक्ष पेश किया गया।

    CWC ने पाया कि लड़की का विवाह एक राकेश से हुआ और यह विवाह 2006 के अधिनियम का उल्लंघन था। इसी आधार पर CWC ने पुलिस को नई FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। लड़की के पिता और पति ने इस निर्देश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

    हाईकोर्ट ने JJ Act की धारा 27 और 30 की जांच की और पाया कि CWC की शक्तियाँ केवल देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों से संबंधित कार्यवाही तक सीमित हैं।

    न्यायिक शक्तियां सीमित: कोर्ट ने कहा कि भले ही धारा 27(9) CWC को प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के बराबर शक्तियां प्रदान करती हो, लेकिन ये शक्तियां FIR दर्ज करने का निर्देश देने तक विस्तारित नहीं हो सकतीं।

    CWC का उद्देश्य: न्यायालय ने अवलोकन किया, "समिति में निहित शक्तियां प्रशासनिक और न्यायिक दोनों प्रकार की हैं। इनका उद्देश्य केवल बच्चे की देखभाल, संरक्षण, पुनर्वास और सर्वोत्तम हित सुनिश्चित करने के लिए प्रयोग करना है। इसलिए समिति पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देने के लिए ऐसी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकती।"

    कोर्ट ने कहा कि FIR दर्ज करने का निर्देश देने की शक्ति विशेष रूप से CrPC की धारा 190 के तहत सशक्त मजिस्ट्रेट के पास निहित है।

    CWC को अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करने वाला मानते हुए हाईकोर्ट ने बदायूं की CWC का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें FIR दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।

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