न्यायिक आदेश के बावजूद कर्मचारी का वेतन और पेंशन रोका गया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर 1 लाख का जुर्माना लगाया
Amir Ahmad
31 July 2025 12:20 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार पर 1 लाख का जुर्माना लगाया। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के अंतिम होने के बावजूद याचिकाकर्ता की मां को सेवा में बने रहने की अनुमति न देकर समन्वय पीठ के आदेशों की अवहेलना की।
याचिकाकर्ता की मां ने पहले हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की, जिसमें उनकी जन्मतिथि संबंधी मुद्दे का निपटारा किया गया और उन्हें सेवा में बने रहने का निर्देश दिया गया। चूंकि उनकी मृत्यु के बाद रिटायरमेंट के बाद के देय भुगतान का भुगतान नहीं किया जा रहा था, इसलिए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
रिट कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में सभी सेवा और रिटायरमेंट के बाद के लाभ देने का आदेश दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने रिट न्यायालय के आदेश के विरुद्ध विशेष अपील दायर की।
न्यायालय ने माना कि पूर्व रिट याचिका में दिया गया आदेश अंतिम हो गया, इसलिए मां अपनी मृत्यु तक (जो उनकी रिटायरमेंट की तिथि से पहले थी) सेवा में बनी रह सकती हैं और सभी सेवा लाभ प्राप्त करने की हकदार हैं। यह माना गया कि राज्य द्वारा उनका वेतन और पेंशन रोके रखने के कारण परिवार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
जस्टिस अताउ रहमान मसूदी और जस्टिस प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने कहा,
"इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि 26.8.2015 के निर्णय के अंतिम होने के बावजूद मृतक कर्मचारी के परिवार को भारी और गंभीर वित्तीय नुकसान हुआ है, हम राज्य पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हैं, जो रिट कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार अन्य सभी लाभों के साथ प्रतिवादी के पक्ष में जारी किया जाएगा।"
तदनुसार, राज्य द्वारा दायर विशेष अपीलें खारिज कर दी गईं।
केस टाइटल: उत्तर प्रदेश राज्य, प्रधान सचिव, अपर मुख्य सचिव के माध्यम से। सिंचाई विभाग लखनऊ एवं 4 अन्य बनाम मुख्तार अहमद [विशेष अपील दोषपूर्ण संख्या - 313/2025]

