इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेहमानों को हिंदू मंदिरों को जूते-चप्पल से अपवित्र करने के लिए' उकसाने वाली बैठक में शामिल प्रतिभागी की गिरफ्तारी पर रोक लगाई
Amir Ahmad
8 Feb 2025 8:56 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को स्कूल शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, जिस पर एक बैठक में शामिल होने का आरोप है, जिसमें वक्ता ने कथित तौर पर उपस्थित लोगों को हिंदू धार्मिक प्रतीकों का अनादर करने और मंदिरों को जूते-चप्पल से अपवित्र करने के लिए उकसाया था।
जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने आरोपी भीष्म पाल सिंह को राहत दी, जिस पर BNS की धारा 299 के तहत मामला दर्ज किया गया।
FIR की सामग्री के अनुसार इंफॉर्मेंट ने एक वायरल वीडियो देखा, जिसमें एक महिला ने कथित तौर पर हिंदू देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और बैठक में मौजूद लोगों को हिंदू धार्मिक प्रतीकों, जैसे सिंदूर और बिछिया का अनादर करने के लिए उकसाया और उसने दूसरों को मंदिरों को जूते-चप्पल से अपवित्र करने के लिए प्रोत्साहित किया।
FIR में आगे कहा गया कि इस तरह की टिप्पणियों से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। इससे सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा हो सकता है।
आरोपी-याचिकाकर्ता ने FIR को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया और कहा कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं, क्योंकि FIR में लगाए गए आरोपों के अनुसार वह अपमानजनक टिप्पणी करने या सांप्रदायिक वैमनस्य भड़काने में शामिल नहीं था।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता केवल बैठक में मौजूद था और उसने किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में भाग नहीं लिया। यह भी कहा गया कि सूचनाकर्ता के खिलाफ सार्वजनिक शांति भंग करने के लिए पहले भी कई FIR दर्ज हैं, जो तुच्छ शिकायतें दर्ज करने के पैटर्न को दर्शाता है।
इन परिस्थितियों के मद्देनजर उसने FIR रद्द करने और पुलिस द्वारा किसी भी तरह की बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग की।
यह देखते हुए कि मामले पर विचार करने की आवश्यकता है, अदालत ने सूचनाकर्ता को नोटिस जारी किया और राज्य सरकार सहित सभी प्रतिवादियों को छह सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने की स्वतंत्रता दी।
इसके अलावा मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए अंतरिम उपाय के रूप में खंडपीठ ने प्रावधान किया कि अगली लिस्टिंग की तारीख तक या पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक, जो भी पहले हो, याचिकाकर्ता को FIR में गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, बशर्ते कि वह चल रही जांच में सहयोग करे।
वकील पंकज कुमार ओझा और शिव पूजन यादव याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए।
केस टाइटल - भीष्म पाल सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य