पीएम मोदी का उपहास उडाने वाली फेसबुक पोस्ट पर व्यक्ति को नहीं मिली ज़मानत, कोर्ट ने बताया- राष्ट्र-विरोधी विचारधारा

Amir Ahmad

6 Aug 2025 11:44 AM IST

  • पीएम मोदी का उपहास उडाने वाली फेसबुक पोस्ट पर व्यक्ति को नहीं मिली ज़मानत, कोर्ट ने बताया- राष्ट्र-विरोधी विचारधारा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ़्ते एक व्यक्ति की ज़मानत याचिका खारिज कर दी, जिस पर फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए आपत्तिजनक और भड़काऊ सामग्री साझा करने और पाकिस्तान का महिमामंडन करने का आरोप है।

    जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि कथित पोस्ट भारतीय नेतृत्व का उपहास करते प्रतीत होते हैं और राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता और अखंडता के हितों के विपरीत एक कथानक को बढ़ावा देते हैं।

    आरोपी (ताहिर मेवाती) पर फेसबुक पर कथित तौर पर आपत्तिजनक दृश्य पोस्ट करने के आरोप में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152, 352, 197(1)(सी) और 353(1)(सी) के तहत मामला दर्ज किया गया। इन दृश्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इमरान खान के पैर छूते हुए इमरान खान द्वारा रस्सी से बांधकर घसीटे जाते हुए और मोदी माफ़ी मांगता है, जैसे कैप्शन के साथ-साथ पाकिस्तान का कथित रूप से महिमामंडन करने वाली उर्दू स्क्रिप्ट में शामिल हैं।

    उसके खिलाफ आरोपों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि कथित पोस्ट भड़काऊ, आपत्तिजनक और सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने और सार्वजनिक शांति एवं व्यवस्था को भंग करने में सक्षम हैं।

    अदालत ने आगे कहा,

    "पोस्ट में प्रयुक्त विषय और भाषा राष्ट्र-विरोधी विचारधारा के महिमामंडन की ओर झुकाव दर्शाती है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।"

    सेशन कोर्ट द्वारा उसकी ज़मानत याचिका खारिज किए जाने के बाद आरोपी ने हाईकोर्ट का रुख किया। उसके वकील ने तर्क दिया कि अज्ञात व्यक्ति उसकी छवि खराब करने के इरादे से उसके नाम से एक फर्जी फेसबुक आईडी चला रहा है।

    यह भी दावा किया गया कि आरोपी ने न तो सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया था और न ही प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई वीडियो वायरल किया था। उसका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है।

    दूसरी ओर, एजीए ने ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आवेदक ने सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट के समक्ष विरोधाभासी रुख अपनाया था।

    सेशन कोर्ट के समक्ष उसने तर्क दिया कि उसने केवल कुछ 'मीम्स' अपलोड किए, न कि सार्वजनिक शांति भंग करने के इरादे से कोई आपत्तिजनक सामग्री।

    हालांकि, हाईकोर्ट के समक्ष उसने किसी भी सामग्री को पोस्ट करने के दावे का पूरी तरह से खंडन किया था।

    एजीए ने आगे तर्क दिया कि आवेदक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर आपत्तिजनक और भड़काऊ वीडियो पोस्ट किए, जिनका स्पष्ट उद्देश्य हिंसक उग्रवाद का महिमामंडन करना और राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देना था।

    यह प्रस्तुत किया गया कि आवेदक देश की संप्रभुता और एकता के लिए खतरा है और उसके खिलाफ आपराधिक परिस्थितियां हैं।

    इन दलीलों की पृष्ठभूमि में पीठ ने उसे ज़मानत देने से इनकार कर दिया।

    केस टाइटल- ताहिर मेवाती बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2025 लाइवलॉ (एबी) 296

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