तलाक की कार्यवाही स्थगित होने पर भी पति की गुज़ारा भत्ता देने की ज़िम्मेदारी खत्म नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Amir Ahmad
2 Sept 2025 5:16 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि तलाक की कार्यवाही पर रोक लग जाने से पति की पत्नी को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (Hindu Marriage Act) की धारा 24 के तहत मिलने वाले गुज़ारा भत्ते की ज़िम्मेदारी समाप्त नहीं होती।
जस्टिस मनीष कुमार निगम की एकलपीठ ने कहा कि पति की देनदारी तब तक बनी रहती है, जब तक कि गुज़ारा भत्ते का आदेश निरस्त या वापस नहीं ले लिया जाता। यह ज़िम्मेदारी अपील पुनर्विचार या पुनर्स्थापन कार्यवाही के दौरान भी जारी रहती है।
मामला
याचिकाकर्ता अंकित सुमन ने 2018 में तलाक याचिका दायर की थी। पत्नी ने उसी दौरान भरण-पोषण का आवेदन दायर किया, जिसे फैमिली कोर्ट ने 2020 में खारिज कर दिया। बाद में हाईकोर्ट ने 2021 में आदेश पारित करते हुए पत्नी को 10,000 प्रतिमाह और नाबालिग बेटी को 10,000 प्रतिमाह देने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में आदेश संशोधित कर बेटी के लिए राशि घटाकर 5,000 की।
भुगतान नहीं हुआ पत्नी ने एक्जीक्यूशन केस दायर किया, जिस पर 2024 में पति के विरुद्ध रिकवरी वारंट जारी हुआ। पति ने तर्क दिया कि सितंबर, 2023 में हाईकोर्ट ने तलाक कार्यवाही पर स्टे दे दिया था इसलिए उस अवधि में गुज़ारा भत्ता देय नहीं है।
हाईकोर्ट ने पति की दलील अस्वीकार करते हुए कहा,
“सिर्फ कार्यवाही पर रोक लग जाने से यह नहीं माना जाएगा कि विवाह संबंधी मुकदमा समाप्त हो गया। आदेश तब तक लागू रहेगा, जब तक इसे रद्द नहीं किया जाता।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 24 का उद्देश्य आर्थिक रूप से निर्बल पक्ष को मुकदमे की लड़ाई के लिए सक्षम बनाना है और यह आदेश पूरी कार्यवाही की अवधि तक लागू रहता है।
अंततः कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: अंकित सुमन बनाम राज्य उत्तर प्रदेश एवं अन्य (2025 LiveLaw (AB) 328)

