सरकारी कर्मचारी का नॉमिनी व्यक्ति केवल संरक्षक, कर्मचारी की मृत्यु के बाद लाभ कानूनी उत्तराधिकारियों को दिया जाता है: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने दोहराया

Amir Ahmad

15 Jan 2024 2:21 PM IST

  • सरकारी कर्मचारी का नॉमिनी व्यक्ति केवल संरक्षक, कर्मचारी की मृत्यु के बाद लाभ कानूनी उत्तराधिकारियों को दिया जाता है: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने दोहराया

    इलाहाबाद हाइकोर्ट ने शिप्रा सेनगुप्ता बनाम मृदुल सेनगुप्ता और अन्य (2009) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई स्थिति को दोहराया कि सरकारी कर्मचारी का नामांकित व्यक्ति केवल संरक्षक होता है। वहीं ऐसे सरकारी कर्माचरी की मृत्यु के बाद मिलने वाले कोई भी लाभ केवल कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारियों को ही दिया जा सकता है।

    याचिकाकर्ता के पूर्व पति की महाराजा तेज सिंह, जूनियर हाई स्कूल औरंध, विकास खंड सुल्तानगंज, जिला मैनपुरी में सहायक अध्यापक के पद से रिटायर्ड होने के बाद मृत्यु हो गई। पति ने दूसरी शादी कर ली थी, लेकिन याचिकाकर्ता का नाम उसके नॉमिनी व्यक्ति के रूप में दर्ज किया गया। याचिकाकर्ता ने अपने नाम को नॉमिनी व्यक्ति के रूप में उल्लेखित किए जाने और इस तथ्य के आधार पर कि वह कई वर्षों तक उसकी पत्नी थी, रिटायर्डमेंट लाभों के हकदार होने का दावा किया।

    यह तर्क दिया गया कि उषा देवी मृतक कर्मचारी की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी थीं। लेकिन उन्होंने कई साल पहले उसे छोड़ दिया गया। यह तर्क दिया गया कि उषा देवी ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत कार्यवाही में समझौता कर लिया था और कभी भी किसी भरण-पोषण भत्ते का दावा नहीं किया। तदनुसार, उसने अपना अधिकार त्याग दिया।

    कोर्ट ने शिप्रा सेनगुप्ता बनाम मृदुल सेनगुप्ता और अन्य पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था

    “स्पष्ट कानूनी स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया गया कि किसी भी मद के तहत राशि नॉमिनी व्यक्ति द्वारा प्राप्त की जा सकती है, लेकिन राशि का दावा मृतक के उत्तराधिकारियों द्वारा उन्हें नियंत्रित करने वाले उत्तराधिकार के कानून के अनुसार किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, नामांकन नॉमिनी व्यक्ति को कोई लाभकारी हित प्रदान नहीं करता। मौजूदा मामले में प्राप्त राशि को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 (Hindu Marriage Act 1956) के अनुसार वितरित किया जाना है।"

    जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने पाया कि उषा देवी मृतक कर्मचारी की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी थीं और उनकी मृत्यु के समय उनका तलाक नहीं हुआ था। तदनुसार, न्यायालय ने मृत कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में उषा देवी को दिए गए लाभ को बरकरार रखा।

    कोर्ट ने इस संबंध में कहा,

    “प्रतिवादी -10 अपने अधिकार का दावा कर रही है और जैसा कि शिप्रा सेनगुप्ता में कहा गया कि सरकारी कर्मचारी का नॉमिनी व्यक्ति सिर्फ संरक्षक है और सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद लाभ कानून के अनुसार प्रदान किया जाना चाहिए, यानी उसके लिए/उसके कानूनी उत्तराधिकारी और वर्तमान मामले में प्रतिवादी-10 भोजराज सिंह की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी होने के नाते कानूनी उत्तराधिकारी है। उसका कभी तलाक नहीं हुआ था। इसलिए मुझे विवादित आदेश में कोई अवैधता नहीं दिखती।”

    तदनुसार, रिट याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल- रजनी रानी बनाम यूपी राज्य और अन्य।

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