इलाहाबाद हाईकोर्ट उपमुख्यमंत्री को लिखे वकील के पत्र के आधार पर पट्टा रद्द करने पर हैरान, आदेश रद्द, पट्टा बहाल किया

Amir Ahmad

31 July 2025 12:16 PM IST

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट उपमुख्यमंत्री को लिखे वकील के पत्र के आधार पर पट्टा रद्द करने पर हैरान, आदेश रद्द, पट्टा बहाल किया

    सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि चार व्यक्तियों (याचिकाकर्ताओं) के पक्ष में दिया गया वैध पट्टा केवल वकील द्वारा राज्य के उपमुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र के आधार पर रद्द कर दिया गया।

    जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने पट्टा रद्द करने के आदेश रद्द कर दिए और याचिकाकर्ताओं (राकेश और तीन अन्य) के पक्ष में पट्टा बहाल कर दिया।

    संक्षेप में मामला

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि भूमि प्रबंधन समिति द्वारा इस आशय का प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद उन्हें 2013 में पट्टा प्रदान किया गया। कथित तौर पर फर्रुखाबाद के एक वकील द्वारा राज्य के उपमुख्यमंत्री को एक पत्र भेजे जाने के बाद रद्द करने की कार्यवाही 2018 में शुरू की गई थी।

    पीठ को अवगत कराया गया कि उक्त पत्र के आधार पर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 128 के तहत निरस्तीकरण की कार्यवाही शुरू की गई। बाद में याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध निर्णय देकर पट्टा रद्द कर दिया गया।

    पट्टा निरस्तीकरण आदेश के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका प्रस्तुत की गई, जिसे आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया गया और मामले को पुनर्विचार के लिए भेज दिया गया। पुनर्विचार के बाद पट्टा रद्द कर दिया गया, जिसके बाद पुनर्विचार याचिका दायर की गई और उसे खारिज कर दिया गया।

    पट्टा निरस्तीकरण आदेशों को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वकील ने तर्क दिया कि आवेदन उपमुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। वह सुनवाई योग्य नहीं था, क्योंकि यह संहिता की धारा 128 के अनुसार प्रस्तुत नहीं किया गया।

    बता दें, संहिता 2006 की धारा 128, कलेक्टर को किसी भी आवंटन की निर्धारित तरीके से जांच करने के बाद आवंटन और पट्टे को रद्द करने का अधिकार देती है यदि वह संतुष्ट हो कि आवंटन संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।

    यह देखते हुए कि संहिता की धारा 128 के तहत कोई उचित कार्यवाही शुरू नहीं की गई थी और केवल एक वकील द्वारा राज्य के उपमुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र के आधार पर कि पट्टा रद्द करने की कार्यवाही शुरू की गई और पट्टा रद्द कर दिया गया न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि राजस्व अधिकारियों ने अपनी अंतर्निहित शक्तियों का उल्लंघन किया।

    मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 7 जनवरी, 2025 और 20 अक्टूबर, 2024 के आदेशों को रद्द कर दिया गया और याचिकाकर्ताओं के पक्ष में दिया गया पट्टा तत्काल बहाल कर दिया गया।

    केस टाइटल - राकेश एवं 3 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं 3 अन्य 2025 लाइवलॉ (एबी) 285

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