लगता है कलयुग आ गया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भरण-पोषण के मुद्दे पर कानूनी लड़ाई लड़ रहे बुजुर्ग दंपत्ति पर कहा
Amir Ahmad
25 Sept 2024 2:44 PM IST
भरण-पोषण के मुद्दे पर कानूनी लड़ाई में शामिल लगभग 75-80 वर्ष की आयु के बुजुर्ग दंपत्ति से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह असामान्य बयान दिया कि ऐसा लगता है कि कलयुग आ गया है।
जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने मुनीश कुमार गुप्ता (पति) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी।
उक्त आदेश में उसे अपनी पत्नी (गायत्री) को 5000 रुपये भरण-पोषण के रूप में देने का निर्देश दिया गया था।
इस मामले में पत्नी को नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने इस उम्मीद में मामले को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया कि पक्षकार समझौता कर सकते हैं।
मामले के तथ्यों के अनुसार आवेदक (मुनेश) मेडिकल विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी था। उसने वर्ष 1981 में अपनी पत्नी गायत्री देवी के नाम से मकान बनवाया था। आवेदक के रिटायर होने के तीन वर्ष बाद वर्ष 2008 में गायत्री देवी ने मकान अपने छोटे बेटे को दान कर दिया, जिससे बड़े बेटे को उसके अधिकार से वंचित किए जाने के मुद्दे पर बुजुर्ग दम्पति के बीच विवाद हो गया। विवाद के चलते दम्पति अपने-अपने बेटों के साथ अलग रहने लगे तथा पत्नी ने भी आवेदक के खिलाफ फैमिली कोर्ट में भरण-पोषण का दावा दायर कर दिया।
फैमिली कोर्ट द्वारा आवेदक को पत्नी को 5000 रुपए भरण-पोषण के रूप में देने का निर्देश दिए जाने के बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।