इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नीलाम की गई संपत्ति को डिफॉल्ट करने वाले उधारकर्ता को अवैध रूप से लौटाने पर बैंक ऑफ बड़ौदा को फटकार लगाई
Amir Ahmad
22 April 2025 10:02 AM

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बैंक ऑफ बड़ौदा को मनमाना, सनकी और निरंकुश करार देते हुए कड़ी फटकार लगाई, क्योंकि बैंक ने नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने और सफल बोलीदाता (नीलामी खरीदार) से बयाना राशि स्वीकार करने के बावजूद संपत्ति को मूल उधारकर्ता को वापस लौटा दिया।
जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस डॉ. योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कहा कि बैंक की यह कार्रवाई अवैध और मनमानी है। इसके लिए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
अदालत ने बैंक को आदेश दिया कि वह नीलामी खरीदार को उसकी बयाना राशि पर 24% वार्षिक ब्याज दर से मुआवज़ा अदा करे।
अदालत ने यह भी जोड़ा कि बैंक की यह संपूर्ण कार्रवाई Celir LLP बनाम Bafna Motors (Mumbai) Pvt. Ltd. और अन्य 2023 LiveLaw (SC) 808 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित सिद्धांतों के खिलाफ है।
खंडपीठ ने कहा,
“बैंक की यह कार्रवाई कानून के दायरे से बाहर, मनमानी, सनकी, निरंकुश और विधि द्वारा स्थापित सिद्धांतों के पूर्णतः खिलाफ है। जब एक बार बैंक ने संपत्ति को नीलामी में बेच दिया और बोलीदाता से बयाना राशि स्वीकार कर ली तो वह किसी भी स्थिति में मूल उधारकर्ता के साथ एकमुश्त निपटान योजना (OTS) करके संपत्ति उसे नहीं लौटा सकता था।”
अदालत ने बैंक को निर्देश दिया कि वह 30 अप्रैल को अदालत में संपूर्ण राशि के लिए डिमांड ड्राफ्ट लेकर उपस्थित हो।
यह आदेश उस याचिका के तहत पारित किया गया, जिसे सौरभ सिंह चौहान ने दाखिल किया था। उन्होंने SARFAESI Act के अंतर्गत संपत्ति की सफलतापूर्वक बोली लगाई थी।
उनका आरोप था कि बैंक ने एकमुश्त निपटान योजना के तहत संपत्ति मूल उधारकर्ता को वापस लौटा दी, जबकि उन्होंने पहले ही बयाना राशि अदा कर दी थी।
बैंक और उसके वकील ने अदालत में अपनी गलती के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगी। फिर भी खंडपीठ ने निर्देश दिया कि बैंक को बयाना राशि 24% ब्याज के साथ लौटानी होगी।
मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।
टाइटल– सौरभ सिंह चौहान बनाम बैंक ऑफ बड़ौदा, क्षेत्रीय स्ट्रेस्ड एसेट रिकवरी शाखा एवं अन्य