इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'पति' के साथ रहने की इच्छुक नाबालिग को वयस्क होने तक 18 दिनों के लिए पिता की कस्टडी में भेजा
Shahadat
3 Jun 2024 10:56 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह नाबालिग लड़की को वयस्क होने पर (7 जून को) उसके 'पति' के साथ रहने की अनुमति देने का निर्णय स्थगित कर दिया था। अंतरिम अवधि में न्यायालय ने उसकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए उसे 18 दिनों के लिए उसके पिता की कस्टडी में रखा है।
जस्टिस मोहम्मद फैज आलम खान की पीठ मुख्य रूप से लड़की के कथित पति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें दावा किया गया कि उसके माता-पिता ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे कस्टडी में रखा है, जबकि वह वैवाहिक संबंध में उसके साथ रहना चाहती है। याचिका में दावा किया गया कि वह वयस्क है।
याचिका के साथ एसएचओ (लखनऊ में पारा पुलिस स्टेशन) को संबोधित कथित रूप से कॉर्पस द्वारा लिखे गए आवेदन की कॉपी संलग्न की गई थी, जिसमें प्रथम दृष्टया पता चला कि उसने कहा कि उसने याचिकाकर्ता के साथ अपनी शादी कर ली है और उसे याचिकाकर्ता के साथ जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
10 मई को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने संबंधित एसएचओ को नाबालिग लड़की को व्यक्तिगत रूप से पेश करने का निर्देश दिया, जिससे उसकी शालीनता और सुरक्षा को ध्यान में रखा जा सके।
23 मई को लड़की के परिवार ने न्यायालय को सूचित किया कि याचिकाकर्ता के इस दावे के बावजूद कि कस्टडी में ली गई लड़की बालिग है, उसके स्कूल रिकॉर्ड से पता चलता है कि उसका जन्म 7 जून, 2006 को हुआ था, जो उसे नाबालिग बनाता है।
इन दस्तावेजों के आधार पर न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि उसकी सहमति का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं की जा सकती।
न्यायालय के साथ बातचीत में हिरासत में ली गई लड़की (नाबालिग लड़की) ने शुरू में अपने माता-पिता के साथ रहने को लेकर कुछ शंकाएं जताईं, लेकिन बाद में वह इस बात पर सहमत दिखी कि वह वयस्क होने तक अपने माता-पिता के साथ रह सकती है। हालांकि, उसने अपने माता-पिता से उसे डांटने से रोकने का निर्देश मांगा।
इस तथ्य के संबंध में कि नाबालिग लड़की 7 जून, 2024 को वयस्क हो जाएगी, न्यायालय ने मामले को 10 जून, 2024 को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया, जिस तिथि तक बंदी भी वयस्क हो सकती है। उस तिथि तक प्रतिवादी नंबर 4 (पिता) भी मामले में जवाबी हलफनामा दायर कर सकता है। न्यायालय ने संबंधित थाना प्रभारी को निर्देश दिया कि वह अगली सूचीबद्ध तिथि पर बंदी को पर्याप्त सुरक्षा के साथ व्यक्तिगत रूप से इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे और उसकी शालीनता के बारे में बताए।
इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने बंदी के पिता को निर्देश दिया कि वह शव को अपनी सुरक्षित अभिरक्षा में रखे और वह उसकी सुरक्षा और कल्याण के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होगा। एसएचओ को बंदी के पिता के घर नियमित रूप से जाकर बेटी की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया।