महाकुंभ भगदड़ | जान-माल के नुकसान की जांच करें, अगर कोई नुकसान हुआ है तो: यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के सुझाव के बाद न्यायिक आयोग का दायरा बढ़ाया

Amir Ahmad

24 Feb 2025 9:32 AM

  • महाकुंभ भगदड़ | जान-माल के नुकसान की जांच करें, अगर कोई नुकसान हुआ है तो: यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के सुझाव के बाद न्यायिक आयोग का दायरा बढ़ाया

    उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को बताया कि उसने न्यायिक आयोग की जांच का दायरा बढ़ाने के लिए अधिसूचना जारी की। आयोग अब जान-माल के नुकसान की जांच करेगा अगर कोई नुकसान हुआ।

    कोर्ट को बताया गया कि आयोग भगदड़ के दौरान जान-माल के नुकसान के बारे में स्वास्थ्य सेवा प्रशासन के साथ मेला प्रशासन और जिला प्रशासन के समन्वय की भी जांच करेगा।

    चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ के समक्ष यह बयान दिया गया, जिसने प्रयागराज में महाकुंभ में भगदड़ के बाद लापता लोगों के संबंध में जनहित याचिका की पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को आयोग का दायरा बढ़ाने का सुझाव दिया।

    शनिवार को जारी अधिसूचना में कहा गया कि राज्य के राज्यपाल ने पहले ही न्यायिक आयोग की नियुक्ति की, क्योंकि भगदड़ और उसके परिणामस्वरूप कुछ श्रद्धालुओं की मृत्यु और गंभीर चोटों के संबंध में सार्वजनिक हित में जांच करना आवश्यक समझा गया।

    इसमें कहा गया कि यह निर्णय विषय वस्तु की व्यापकता और जांच में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया।

    19 फरवरी को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मौखिक रूप से सरकारी वकील को आयोग के संबंध में सामान्य अधिसूचना जारी न करने तथा संदर्भ की शर्तों को स्पष्ट रूप से रेखांकित करने का निर्देश दिया था। इसलिए 22 फरवरी की अधिसूचना में स्पष्ट किया गया कि आयोग को जांच करने के पश्चात राज्य सरकार को निम्नलिखित बिंदुओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नियुक्त किया गया (यह सुझाव देते हुए कि 29 जनवरी को आयोग की नियुक्ति के समय इसका उद्देश्य स्पष्ट था)

    (a) उन कारणों और परिस्थितियों का पता लगाना जिनके कारण उक्त घटना घटी।

    (b) भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोकने के संबंध में सुझाव देना।

    बता दें कि यूपी सरकार ने 29 जनवरी की भगदड़ की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस हर्ष कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया।

    हाईकोर्ट के सुझाव पर अब इसका दायरा बढ़ा दिया गया।

    अधिसूचना का क्रियाशील भाग इस प्रकार है:

    2. मामले की गंभीरता को देखते हुए आगे विचार-विमर्श के बाद राज्यपाल जांच आयोग अधिनियम, 1952 (अधिनियम संख्या 60, 1952) की धारा-3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जांच आयोग को निर्दिष्ट जांच के दायरे का विस्तार करते हैं, जिसमें निम्नलिखित बिंदु भी शामिल हैं:

    I. 29.01.2025 को प्रयागराज के महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दौरान मेला क्षेत्र में हुई भगदड़ के कारण हुई जान-माल की हानि यदि कोई हो की जांच करना।

    II. भगदड़ के दौरान हुई जान-माल की हानि के संबंध में स्वास्थ्य सेवा प्रशासन के साथ मेला प्रशासन और जिला प्रशासन के समन्वय के बारे में जांच करना।

    सरकार ने जांच कार्यवाही पूरी करने के लिए आयोग का कार्यकाल भी एक महीने के लिए बढ़ा दिया, जिसकी गणना 1 मार्च, 2025 से की जाएगी।

    राज्य सरकार के प्रस्तुतीकरण और अधिसूचना को ध्यान में रखते हुए खंडपीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व मानद सचिव एडवोकेट सुरेश चंद्र पांडे द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए उन्हें आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी।

    वकील सौरभ पांडे द्वारा दायर और तर्कित जनहित याचिका में प्रयागराज में महाकुंभ में भगदड़ के बाद लापता हुए व्यक्तियों का विवरण एकत्र करने के लिए न्यायिक निगरानी समिति के गठन की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने स्पष्ट रूप से दावा किया कि कई मीडिया पोर्टलों ने राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर बताई गई हताहतों (30) की संख्या पर विवाद किया।

    भगदड़ 29 जनवरी की तड़के हुई, जिसमें कथित तौर पर 30-39 लोग मारे गए। प्रभावित क्षेत्र संगम पवित्र स्नान स्थल था। न्यूज मिनट की ग्राउंड जांच रिपोर्ट का दावा कि मरने वालों की संख्या संभवतः 79 के करीब है।

    3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने महाकुंभ मेले में हुई भगदड़ के लिए उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

    कोर्ट ने याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल तिवारी से इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा था।

    सीजेआई ने तिवारी से कहा,

    "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जो चिंता का विषय है। लेकिन हाईकोर्ट जाएं। पहले से ही न्यायिक आयोग गठित है।"

    तिवारी ने कहा कि भगदड़ की घटनाएं आम होती जा रही हैं।

    एडवोकेट तिवारी ने बड़े धार्मिक समारोहों में ऐसी भगदड़ को रोकने के लिए नीतियां और नियम बनाने के निर्देश भी मांगे थे।

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