कंप्यूटर के सर्विलांस पर केंद्र के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती पर जल्द सुनवाई नहीं होगी

LiveLaw News Network

25 Dec 2018 5:21 AM GMT

  • कंप्यूटर के सर्विलांस पर केंद्र के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती पर जल्द सुनवाई नहीं होगी

    केंद्र के दस एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर के सर्विलांस के अधिकार दिए जाने के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। ये याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दाखिल की है और इसमें सरकार के फैसले को रद्द करने की गुहार लगाई गई है।

    हालांकि शर्मा ने सोमवार को वेकेशन रजिस्ट्रार से इसकी सुनवाई जल्द करने का आग्रह किया लेकिन ये आग्रह ठुकरा दिया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट में छुट्टियां खत्म होने के बाद ही सुनवाई होगी।

    इस याचिका में कहा गया है कि गृहमंत्रालय का 20 दिसंबर का आदेश गैरकानूनी, मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला और संविधान के विपरीत है। इसलिए इस आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। शर्मा ने याचिका में ये भी कहा है कि गृहमंत्रालय इस तरह सर्विलांस का आदेश जारी नहीं कर सकता। इस तरह के किसी भी फैसले को निजता के अधिकार की कसौटी पर तौला जाना चाहिए। केंद्र ने ये आदेश जारी कर आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर विपक्ष, सरकार के खिलाफ बोलने वाले व सोचने वालों को चुप कराने की कोशिश की है।

    याचिका में ये भी कहा गया है कि ये अघोषित इमरजेंसी है और आजाद भारत में नागरिकों को गुलाम बनाने जैसा है। सरकार को किसी भी ऐसे मामले में किसी नागरिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से रोका जाए क्योंकि ये Cr.PC और फेयर ट्रायल के नियम के खिलाफ है।

    दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर दस एजेंसियों को कंप्यूटर में रखे डाटा,ऑनलाइन गतिविधियों और दूसरे क्रियाकलापों पर निगरानी के अधिकार दिए हैं। इसके तहत सूचनाओं की निगरानी हो सकती है और इन्हें डीकोड भी किया सकता है। पहले बड़े आपराधिक मामलों में ही कंप्यूटर या ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने, जांच और इन्हें जब्त करने की इजाजत थी।

    केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 जांच एजेंसियों को अधिकार दिया है कि वो किसी भी कंप्यूटर को इंटरसेप्ट कर सकते हैं।जिन जांच एजेंसियों को यह अधिकार दिया है उनमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), खुफिया ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राजस्व खुफिया निदेशालय, कैबिनेट सचिव (रॉ), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटिलिजेंस (सिर्फ जम्मू एवं कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम के सेवा क्षेत्रों के लिए) और दिल्ली पुलिस आयुक्त हैं।किसी के कंप्यूटर में स्टोर डाटा की निगरानी और डिक्रिप्ट करने का दस केंद्रीय एजेंसियों को अधिकार दिए जाने के गृह मंत्रालय के फैसले पर चारों ओर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। वहीं गृह मंत्रालय का कहना है कि ये आदेश सूचना एवं तकनीकी एक्ट में मौजूद विसंगतियों को दूर करके देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने आतंकियों के डेटा को एक्सेस करने के लिए दिया गया है।

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