1984 सिख विरोधी दंगा : सज्जन कुमार को नहीं मिली आत्मसमर्पण के लिए 30 दिन की और मोहलत, दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्जी खारिज की

LiveLaw News Network

21 Dec 2018 4:31 PM GMT

  • 1984 सिख विरोधी दंगा : सज्जन कुमार को नहीं मिली आत्मसमर्पण के लिए 30 दिन की और मोहलत, दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्जी खारिज की

    1984 के सिख विरोधी दंगे में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है।

    न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने सज्जन कुमार की उस अर्जी को ठुकरा दिया जिसमें आत्मसमर्पण करने के लिए 30 दिन और देने की गुहार लगाई थी।

    शुक्रवार को सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा है कि जो आधार अर्जी में दिए गए हैं वो सही नहीं हैं।

    दरअसल सज्जन कुमार ने गुरुवार को ही अर्जी देते हुए गुहार लगाई थी कि उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए 30 दिनों की मोहलत और दी जाए। इसके लिए आधार देते हुए उन्होंने कहा था कि उनका परिवार बड़ा है और उन्हें संपत्ति का सेटलमेंट करना है। ऐसे में उनको आत्मसमर्पण के लिए और वक्त चाहिए। अर्जी में संबंधियों व परिचितों से मिलने की बात कही गई थी।

    17 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे में सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उसे उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी और 31 दिसम्बर 2018 तक आत्मसमर्पण करने को कहा था। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने निचली अदालत के फ़ैसले को पलटते हुए कहा, "पीड़ितों को यह आश्वासन देना जरूरी है कि चुनौतियों के बावजूद, सच जीत की होगी।"

    गौरतलब है कि सज्जन कुमार के ख़िलाफ़ 1984 के सिख विरोधी दंगों में एक ही परिवार के केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंद्र सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह को जान से मारने का आरोप है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्याके बाद 31 अक्टूबर 1984 को यह दंगा फैला था।

    आरोपी के ख़िलाफ़ मामला न्यायमूर्ति जीटी नानावटीआयोग के सुझाव के आधार पर 2005 में दायर हुआ था।निचली अदालत ने 2013 में पाँच लोगों को दोषी माना था जिसमें बलवान खोखर, महेंद्र यादव, किशन खोखर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल शामिल था जबकि सज्जन कुमार को बरी कर दिया था। लेकिन सीबीआई ने सज्जन कुमार के ख़िलाफ़ यह कहते हुए अपील की थी कि भीड़ को उकसाने वाला सज्जन कुमार ही था।

    हाईकोर्ट ने सज्जन के अलावा तीन अन्य दोषियों- कैप्टनभागमल, गिरधारी लाल और कांग्रेस के पार्षद बलवानखोखर की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था। बाकी दो दोषियों - पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर कीसजा तीन साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी गई है।

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