पूरक आरोपों को उन्मोचित कर बरी हुए आरोपी को सीआरपीसी की धारा 319 के तहत निचली अदालत का दुबारा सम्मन भेजना सही है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

21 Dec 2018 2:12 PM GMT

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  • पूरक आरोपों को उन्मोचित कर बरी हुए आरोपी को सीआरपीसी की धारा 319 के तहत निचली अदालत का दुबारा सम्मन भेजना सही है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत निचली अदालत को किसी बरी हुए आरोपी को सम्मन भेजकर दुबारा कोर्ट में पेश होने को कहने का अधिकार है अगर उसको लगता है कि उसने पूरक आरोपों को नज़रंदाज़ किया है।

    दीपू @दीपक सहित सात लोगों पर हत्या और डकैती का आरोप था। निचली अदालत ने दीपू सहित चार अन्य लोगों को बरी कर दिया और ऐसा करते हुए उसने इनके ख़िलाफ़ पूरक आरोपों पर ध्यान नहीं दिया था। निचली अदालत ने हालाँकि अपने आदेश को वापस लिया पर सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को अंततः यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि आदेश की समीक्षा करने या इसे वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है।

    अन्य आरोपियों की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने सीआरपीसी की धारा 319 के तहत एक अपील दायर की। निचली अदालत ने इस अपील को स्वीकार कर लिया यह जानने के बाद कि अपीलकर्ता के ख़िलाफ़ सीआरपीसी की धारा 161 के तहत कार्रवाई के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं और पूरक अभियोगों, पहचान परेड, फ़ोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला रिपोर्ट और गवाहियों के बयानों के आधार पर उसके ख़िलाफ़ मुक़दमे को आगे बढ़ाया जा सकता है।इस तरह आरोपी के ख़िलाफ़ अभियोग दायर किए गए। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस आदेश को सही ठहराया।

    कोर्ट में दुबारा बुलाए गए आरोपी की अपील पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायाधीश एमएम शांतनागौदर की पीठ ने निचली अदालत के विचार से सहमति जताई कि आरोपी के ख़िलाफ़ पर्याप्त और प्रथम दृष्ट्या सबूत हैं।

    पीठ ने कहा कि चूँकि निचली अदालत ने पूरक आरोपों को नज़रंदाज़ किया था, सीआरपीसी की धारा 319 के तहत उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने पर कोई रोक नहीं है…निचली अदालत का इन आरोपियों के ख़िलाफ़ पूरक सबूतों के आधार पर कार्रवाई करने के आदेश से यह अदालत सहमत हैं।


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