दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि से कहा, विशेष ऑडिट के लिए आयकर विभाग से सहयोग करें [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

21 Dec 2018 1:41 PM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि से कहा, विशेष ऑडिट के लिए आयकर विभाग से सहयोग करें [निर्णय पढ़ें]

    दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से कहा है कि वे विशेष ऑडिट के लिए आयकर विभाग को सहयोग करे।

    न्यायमूर्ति ए रवींद्र भट और न्यायमूर्ति प्रतीक जलान की पीठ ने कहा, "…आकलन अधिकारी (एओ) ने सम्बंधित आदेश देने से पहले सभी पक्षों पर सावधानीपूर्वक ग़ौर किया है।"

    पतंजलि ने आकलन वर्ष 2010-11 के लिए विशेष ऑडिट की प्रक्रिया शुरू करने की कार्रवाई को यह कहते हुए चुनौती दी कि एओ विशेष ऑडिटर्ज़ की मदद से इसकी जाँच करना चाहता है और इस तरह वह आकलन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए खातों की जाँच और रिटर्न की जाँच कर आकलन की प्रक्रिया को समय पर पूरा करने से बचना चाहता है।

    आयकर विभाग का कहना था कि जाँच अधिकारी का विशेष ऑडिट का आदेश देना उचित है क्योंकि कम्पनी के खातों में काफ़ी जटिलता है। उसने याचिकाकर्ता के राजस्व की प्राप्ति के तीन स्रोत बताए थे और कहा था कि उसे इसके तरीक़ों के पहचान करने और लागू होने वाले सबंधित एकाउंटिंग स्टैंडर्ड के पहचान की ज़रूरत है ताकि इन राजस्वों की आय की पहचान की जा सके। उसने यह भी कहा कि जिस आय का दावा किया गया है उसकी सच्चाई का पता लगाना भी ज़रूरी है।

    कोर्ट ने एओ के क़दम को सही बताया और कहा, "निस्सन्देह, एओ का यह दायित्व है कि वह अपना दिमाग़ लगाए और सभी आम मामलों में विशेष ऑडिट के प्रावधान को लागू नहीं करे। हालाँकि, जब एओ को लगता है कि समयबद्ध रूप से उसके पास सूचनाएँ नहीं आ रही हैं (जैसे की इस मामले में ऐसा हुआ है), उनके पास बहुत ही सीमित विकल्प है - या तो जाँच नहीं करे और आकलन कार्या पूरा करे या फिर उस बात की अनुमति नहीं दे जो कि उचित है। एओ ने यह फ़ैसला करके सही ही किया बाद का विकल्प उचित नहीं होगा; इसलिए उसने विशेष ऑडिट का आदेश दिया जो कि सही है।"

    कोर्ट ने इसलिए उस आदेश को सही ठहराया और अंतरिम आदेश को समाप्त कर दिया जो कि पतंजलि के हित में पिछले पाँच सालों से लागू चल रहा था।

    कोर्ट ने कहा, "असेसी को निर्देश दिया जाता है कि वह विशेष ऑडिट की प्रक्रिया में सहयोग दे। जिस अवधि तक अंतरिम आदेश लागू रहा उसे इस विशेष ऑडिट को पूरा करने के लिए आकलन की अवधि में शामिल नहीं किया जाएगा। रिट याचिका को ख़ारिज किया जाता है…।"


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