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नियोक्ता को गर्भवती कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए : दिल्ली हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
16 Dec 2018 3:14 PM GMT
नियोक्ता को गर्भवती कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए : दिल्ली हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]
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महिलाओं का आदर होना चाहिए और कार्यस्थल पर उनके साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार होना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए ज़ोर देकर कहा कि गर्भवती कर्मचारियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखी जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा, “महिलाएँ हमारे समाज की आधी जनसंख्या हैं और अपनी रोज़ी रोटी कमाने के लिए जहाँ वह रोज़गार करती हैं उस कार्यस्थल पर उनके साथ मर्यादापूर्ण और समानता का व्यवहार होना चाहिए।

“माँ बनना किसी महिला के जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना है। एक कर्मचारी के रूप में महिला के शिशु के जन्म को सफल बनाने में जितना भी सहयोग दिया जा सकता है, देना चाहिए और नियोक्ता को महिला कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति दिखानी चाहिए।”

इस बारे में याचिका योगिता चौहान ने दाख़िल की थी और उन्होंने एनसीटी दिल्ली के शिक्षा निदेशालय के एक आदेश को इस वर्ष अप्रैल में चुनौती दी थी।

विभाग ने गत वर्ष मई में दिल्ली सरकार के स्कूलों के लिए अकादमिक वर्ष 2017-2018 के लिए मेहमान शिक्षकों का पैनल बनाने के लिए एक नोटिस जारी किया था।

श्रीमती चौहान को अक्टूबर 2017 में इसके लिए चुना गया। उनके बच्चे का जन्म ऑपरेशन द्वारा जनवरी 2018 में हुआ।

उसी महीने चुने गए उम्मीदवारों को उनके दस्तावेज़ों के सत्यापन के लिए एक बार फिर बुलाया गया। कुछ ही दिन पहले हुए ऑपरेशन के बावजूद वह इसमें उपस्थित हुईं। उन्होंने कहा कि जब वह इसके लिए गई थीं तो वहाँ मौजूद अधिकारियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उनकी हाज़िरी भी दर्ज नहीं की।

कई बार पत्राचार के बाद भी उन्हें नौकरी में बहाली का पत्र नहीं मिला। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही अप्रैल में उन्हें यह पत्र मिला जिसमें कहा गया था कि उन्हें हिंदी में पीजीटी के मेहमान शिक्षक के रूप में भविष्य में नियुक्ति पद ख़ाली होने पर दी जाएगी और उन्हें वह स्वस्थ हैं इस बात का चिकित्सा प्रमाणपत्र देना होगा। उन्होंने अब इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

इस बीच, उन्होंने जो आरटीआई आवेदन दाख़िल किया था, उससे यह पता चला कि वर्तमान विज्ञापन चक्र में इसमें सम्बंधित श्रेणी में अभी भी 12 पद ख़ाली हैं।

याचिकाकर्ता के पक्ष में फ़ैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि विभाग ने उन्हें शायद यह समझकर नियुक्ति नहीं दी है कि जब ज़रूरत होगी, वह काम नहीं कर पाएँगी।

“इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आवेदनकर्ता मेहमान शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए उपयुक्त हैं। इसलिए मुझे लगता है कि प्रतिवादी ने संवाद में कुछ कमी रह जाने के कारण मेहमान शिक्षक के रूप में पैनल में उनका चुनाव नहीं किया है…

“…प्रतिवादी ने उनके मामले पर यह सोचते हुए ग़ौर नहीं किया कि चूँकि उन्होंने अभी अभी एक बच्चे को सीजेरियन ऑपरेशन से जन्म दिया है इसलिए ज़रूरत पड़ने पर वह पढ़ाने के लिए स्कूल नहीं आ पाएँगी,” कोर्ट ने कहा।

कोर्ट ने हालाँकि, कहा कि नियोक्ता को गर्भवती कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और प्रतिवादी को आदेश दिया याचिकाकर्ता को पैनल में जगह दे। औथोरिटीज को स्कूलों मने उनकी सेवा लेने को कहा गया और ज़रूरी हुआ तो उनसे स्वस्थ होने का चिकित्सा प्रमाणपत्र लेने को भी कहा।


 
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