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केजी बेसिन पर याचिका : सुप्रीम कोर्ट ने ‘ कम महत्वपूर्ण’ बताते हुए सुनवाई को टाला

LiveLaw News Network
4 Dec 2018 4:40 AM GMT
केजी बेसिन पर याचिका : सुप्रीम कोर्ट ने ‘ कम महत्वपूर्ण’ बताते हुए सुनवाई को टाला
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सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस और सरकार के बीच केजी बेसिन गैस उत्पादन विवाद को लेकर सासंद गुरुदास गुप्ता व अन्य की याचिका को कम महत्वपूर्ण बताते हुए सुनवाई को टाल दिया।

सोमवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि  यह मामला मौत की सजा के मामलों और कानून व्याख्या पर विवादों से संबंधित मामलों के मुकाबले कम महत्वपूर्ण है।

चीफ जस्टिस ने कहा, “ न्याय का पहिया घंसा हुआ है और उच्च न्यायालयों में सुप्रीम कोर्ट की कुछ पहलुओं पर राय में अंतर होने पर मामलों की भरमार है। ऐसे मामलों से निपटने के लिए सात या नौ न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया जाना है। इसके अलावा 70 से 80 मौत की सजा के मामले  भी लंबित हैं।”

हालांकि इस दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ये एक गंभीर मसला है तो चीफ जस्टिस ने कहा कि मुख्य याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने पत्र लिखकर कहा है कि कि उन्हें कुछ व्यक्तिगत कठिनाई है।  यदि मामला इतना महत्वपूर्ण है तो उनको यहां होना चाहिए था। पीठ ने कोई तारीख तय किए बिना केस की सुनवाई टाल दी।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णा-गोदावरी (केजी) बेसिन से गैस निकालने में कथित गडबडी  के बारे में सीएजी की रिपोर्ट पर मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज से छह हफ्तों में जवाब मांगा था। इसमें केजी बेसिन के डी6 कुओं की खुदाई के लिए ठेकेदारों को किए गए भुगतान का मामला भी शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट ने भाकपा के वरिष्ठ नेता गुरदास दासगुप्ता और एनजीओ कॉमनकॉज द्वारा 2013 में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये कदम उठाया था। याचिका में तत्कालीन संप्रग सरकार द्वारा प्राकृतिक गैस की कीमत 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से दोगुना बढ़ाकर 8.4 डॉलर करने के फैसले को चुनौती देते हुए केजी बेसिन में तेल और गैस की खोज का रिलायंस को दिया गया ठेका रद्द करने की मांग की गई है।इसी मामले में वकील एमएल शर्मा ने भी एक तीसरी जनहित याचिका दायर की हुई है।

गैस की कीमत पर विवाद  पीठ ने दासगुप्ता और अन्य याचिकाकर्ताओं को गैस मूल्य निर्धारण के बारे में केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन पर भी जवाब दाखिल करने की अनुमति दी थी। इस मुद्दे पर तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल ने 14 नवंबर, 2014 को पीठ के समक्ष कहा था कि सरकार ने 18 अक्टूबर को 'घरेलू प्राकृतिक गैस की नई नीति' को मंजूरी दी है और प्राकृतिक गैस की कीमत 1 नवंबर से बढ़ाकर 5.61 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू कर दी गई है।

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