Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

मेघालय हाईकोर्ट ने सरकार से कहा, शिक्षकों को भिखारी नहीं माना जाए, वे देश के सर्वाधिक सम्मानित नागरिक और समाज की रीढ़ हैं [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
2 Dec 2018 7:14 AM GMT
मेघालय हाईकोर्ट ने सरकार से कहा, शिक्षकों को भिखारी नहीं माना जाए, वे  देश के सर्वाधिक सम्मानित नागरिक और समाज की रीढ़ हैं [निर्णय पढ़ें]
x

राज्य के शिक्षकों को भारी राहत दिलाते हुए मेघालय हाइकोर्ट ने सरकार से कहा कि सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षक, भले ही वे तदर्थ नियुक्ति वाले हों या सहायताप्राप्त, सेवाओं के मामले में बराबर हैं और उन्हें समान वेतन, पेंशन और अन्य लाभ मिलना चाहिए।

न्यायमूर्ति मोहम्मद याक़ूब मीर और न्यायमूर्ति एसआर सेन की पीठ ने मेघालय कॉलेज टीचर्ज़ असोसीएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। असोसीएशन ने तदर्थ और सहायता प्राप्त शिक्षकों को पेंशन और अन्य नहीं दिए जाने के मुद्दे को इस याचिका में उठाया है। याचिका में कहा गया है कि ऐसा करना मनमाना, भेदभावपूर्ण और अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।

अपने फ़ैसले में पीठ ने कहा, “सरकार को यह याद रखना चाहिए कि शिक्षक भिखारी नहीं हैं, वे देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित नागरिक और समाज की रीढ़ हैं। हम सब जानते हैं कि दुनिया एक विभिन्न हिस्सों में शिक्षकों को काफ़ी इज़्ज़त मिलती है और अच्छा वेतन भी।”

पीठ ने कहा, “समान काम के लिए समान वेतन आवश्यक है और सरकार इससे अपनी आँख नहीं मूँद सकती कि शिक्षक उचित और पर्याप्त पेंशन और अन्य लाभ के अभाव में किस तरह की दयनीय ज़िंदगी जी रहे हैं। हम अमूमन शिक्षकों को अपने अधिकारों और पर्याप्त वेतन, पेंशन और अन्य लाभों के लिए धरना पर बैठे देखते हैं पर किसी के भी पास इतना समय नहीं है कि वे इन उत्पीड़ित शिक्षकों की बात सुने जो की दुर्भाग्यपूर्ण है और हम सबके लिए शर्मनाक”।

पीठ ने इस याचिका का निस्तारन करते हुए कई सारे निर्देश जारी किए ताकि शिक्षकों की दशा को सुधारी जा सके।


 
Next Story