12 जनवरी की प्रेस कांफ्रेंस को लेकर कोई पछतावा नहीं, उद्देश्य के लिए उठाया कदम : जस्टिस कुरियन जोसफ
LiveLaw News Network
1 Dec 2018 12:07 PM IST
सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए पूर्व जस्टिस कुरियन जोसफ ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें 12 जनवरी की प्रेस कांफ्रेंस को लेकर कोई पछतावा नहीं है और ये कदम बहुत सोच समझकर एक उद्देश्य के लिए उठाया गया जिसके लिए कोई और रास्ता नहीं बचा था।
अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए जस्टिस कुरियन ने कहा कि नहीं कहा जा सकता कि संकट खत्म हो गया है लेकिन अब चीजें बदल रही हैं और ये बदलाव आगे भी जारी रहेगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि सिर्फ जजों के रोस्टर का ही मुद्दा नहीं था बल्कि और भी मुद्दे थे।
कोर्ट पर राजनीतिक दखल के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि किसी भी जज के न्यायिक शक्तियों के इस्तेमाल पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं होता। हालांकि उन्होंने कहा कि जिस तरह से नियुक्तियों में ‘चुनिंदा तरीके से देरी की जा रही है या इन्हें रोककर रखा जा रहा है' वह एक तरीके से न्याय में हस्तक्षेप है।
जस्टिस जोसफ ने कहा कि जहां तक सुप्रीम कोर्ट की बात है तो उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्तियों और स्थानान्तरण से जुड़ा ‘ मैमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर' (एमओपी) अंतिम रूप में है और कॉलेजियम मसौदे के अनुसार काम कर रहा है। लेकिन वो हैरान हैं कि सरकार कह रही है कि ये अंतिम नहीं हुआ है। यह पूछे जाने पर कि क्या न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, उन्होंने कहा कि वो इस आम राय से सहमत नहीं हैं और सुप्रीम कोर्ट में ऐसा कुछ नहीं है।
जनहित याचिकाओं पर बोलते हुए जस्टिस कुरियन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ज्यादा वक्त ऐसी जनहित याचिकाओं पर खर्च हो रहा है जो मुद्दे ही नहीं हैं। देश के जो ज्वलंत मुद्दे हैं, वो छूट रहे हैं। हालांकि उन्होंने सबरीमला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
जब उनसे पूछा गया कि पिछले चीफ जस्टिस ने उन्हें कई संवैधानिक पीठ में नहीं रखा तो उन्होंने कहा कि जब देशभर में बडे जनहित का मुद्दा हो और लोगों को प्रभावित करने का मुद्दा हो तो कोर्ट में पीठ के गठन में भी विविधता दिखाई देनी चाहिए।