कलबुर्गी हत्याकांड में कर्नाटक सरकार की जांच से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने पूछा : कब तक होगी जांच पूरी, दो हफ्ते में बताएं

LiveLaw News Network

27 Nov 2018 6:15 AM GMT

  • कलबुर्गी हत्याकांड में कर्नाटक सरकार की जांच से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने पूछा : कब तक होगी जांच पूरी, दो हफ्ते में बताएं

    कन्नड़ लेखक और हंपी विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति एमएम कलबुर्गी हत्याकांड की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने सरकार को दो हफ्ते में बताने को कहा है कि इस मामले की जांच कब तक पूरी होगी।

    सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस आरएफ नरीमन की पीठ ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने अभी तक जांच में कुछ नहीं किया है।

    वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि वो इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को तैयार हैं। वहीं पीठ ने कहा, “ सरकार दो हफ्ते में ये बताए कि हत्याकांड की जांच कब तक पूरी होगी।” पीठ ने ये भी कहा कि वो इस जनहित याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट भेजने को तैयार है।

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट एसआइटी से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों एनआइए, सीबीआई, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक की सरकारों को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब मांगा था। कलबुर्गी की पत्नी उमादेवी कलबुर्गी ने सुप्रीम कोर्ट में दिवंगत पत्रकार की हत्या की जांच रिटायर जज की निगरानी में SIT से कराने के लिए याचिका दायर की थी। मार्च में केंद्र ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि NIA का इस हत्याकांड की जांच से कोई लेना- देना नहीं है क्योंकि इसमें आतंकवादी घटना नहीं हुई है।

    गौरतलब है कि कलबुर्गी की पत्नी की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि उनके पति की हत्या के मामले में अब तक कोई ठोस जांच नहीं की गई है। हंपी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और जाने-माने विद्वान कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को कर्नाटक के धारवाड़ में उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह 77 वर्ष के थे। वह साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार थे।

    याचिका में कलबुर्गी की पत्नी ने कहा है कि उनके पति, नरेंद्र दाभोलकर तथा गोविंद पनसरे की हत्या के तार आपस में जुड़े हुए हैं। दाभोलकर की अगस्त 2013 और पंसारे की फरवरी 2015 में हत्या कर दी गई थी। कलबुर्गी की पत्नी ने कहा है कि दाभोलकर और पनसरे हत्याकांड की जांच बहुत लचर तरीके से की जा रही है। हत्यारों की पकड़ने की दिशा में कोई प्रगति नहीं है। इसलिए इसकी जांच SIT से कराई जानी चाहिए।

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