संविधान दिवस पर बोले राष्ट्रपति : संसद में गतिरोध और अदालत में सुनवाई टलना नागरिकों के साथ अन्याय के समान

LiveLaw News Network

26 Nov 2018 4:59 PM GMT

  • संविधान दिवस पर बोले राष्ट्रपति : संसद में गतिरोध और अदालत में सुनवाई टलना नागरिकों के साथ अन्याय के समान

    दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित संविधान दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संसद में गतिरोध नहीं होना चाहिए और न्यायपालिका में सुनवाई स्थगित नहीं होनी चाहिए। लोकतंत्र में ये दोनों नागरिकों के साथ अन्याय के समान है।

    राष्ट्रपति ने सोमवार को कहा कि संविधान भारत की आजादी का आधुनिक ग्रंथ है और मुझे खुशी है कि पिछले साल मेरी सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कर देने की शुरूआत की है। कुछ हाईकोर्ट में भी फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में जजमेंट मुहैया कराए जा रहे हैं।

    इस दौरान राष्ट्रपति ने प्रदूषण की बात करते हुए कहा कि नदी और शहर साफ- सुथरे हों। एक बच्चे को गन्दगी के चलते अस्थमा होना मैं सामाजिक न्याय के सिद्धांत का हनन मानता हूं।

    उन्होंने कहा कि आधार से भ्रष्टाचार रुका है और सेवाएं लोगों तक पहुंची हैं  लेकिन निजता का मसला अभी बरकरार है।

    इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है और संविधान ने सभी को बराबर का अधिकार दिया है। आतंकी भी अपने मौलिक अधिकारों का दाला करते हुए फेयर ट्रायल की मांग करते हैं। लेकिन सवाल ये है कि पीडितों के अधिकारों का क्या होगा ?

    कानून मंत्री ने कहा कि संवैधानिक नैतिकता की बात की जाती है तो ये साफ है कि संवैधानिक नैतिकता एक जज से दूसरे जज में अलग नहीं होनी चाहिए। ये सहमति से होनी चाहिए।

    समारोह में बोलते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई  ने कहा संविधान दबों कुचलों की अावाज है।

    हमारे संविधान की आलोचना की गई कि ये लंबा और सख्त हैं। ये भी कहा गया कि संविधान भारतीय परिवेश के मुताबिक नहीं है लेकिन सात दशक से ये बेहतरीन काम कर रहा है। यहां तक कि संविधान सभा के एक सदस्य ने कहा था कि हमें वीणा या सितार चाहिए था लेकिन हमने बैंड चुना और बाद  में वो गलत साबित हुए।

    उन्होंने कहा कि संविधान को कैसे सुदृढ बनाया जाए और आगे के रोडमैप तैयार करने की जरूरत है।  26 नवंबर 1949 का दिन देश में   लाखों लोगों के लिए आशा का दिन है।

    समारोह में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने 2008 के मुंबई हमले का जिक्र किया और कहा कि संविधान दिवस 1.3 अरब लोगों के लिए जश्न का दिन है और ये जाति, वर्ग और धर्म और लिंग हर चीज से परे सभी को सरंक्षण देता है।  दस साल पहले आज के दिन ही मुंबई में हमला हुआ, 257 से ज्यादा निर्दोष लोगों ने जान गंवाईं।देश एक होकर ही ऐसे हमलों को निपट सकता है।

    इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के मौजूदा और रिटायर जज भी मौजूद रहे। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान म्यांमार, भूटान और नेपाल के चीफ जस्टिस भी मौजूद रहे।

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