सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस्तीफ़ा देना कर्मचारी का अधिकार है जो कि सेवा नियमों के कतिपय शर्तों से जुड़ा है [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
24 Nov 2018 11:04 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस्तीफ़ा देना किसी कर्मचारी का अधिकार है और उसकी इच्छा के विरुद्ध उसको काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता बशर्ते कि नियुक्ति की शर्तों से जुड़े नियम की शर्तों या कोई अनुशासनात्मक मामला है जो लम्बित है या जिसकी कार्रवाई की बात सोची जा रही है जिससे बचने के लिए ऐसा नहीं किया जा रहा हो।
संजय जैन एयर इंडिया में निर्धारित पाँच साल के लिए थे और 30 दिनों का अग्रिम नोटिस देकर उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया। इसके बाद उन्होंने जेट एयरवेज़ ज्वाइन किया और एयर इंडिया से कहा कि वह उनका पीएफ,ग्रेच्यूटि और बक़ाया वेतन आदि चुका दे। एयर इंडिया ने उनके आग्रह को ठुकरा दिया और कहा कि चूँकि उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं हुआ है, उनको अपनी ड्यूटी ज्वाइन करनी चाहिए। उन्होंने एयर इंडिया के इसआदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसने उनकी याचिका को ख़ारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्र और न्यायमूर्ति विनीत सरन ने कहा कि चूँकि 30 दिन का अग्रिम नोटिस दिया जा चुका है इसलिए इस्तीफ़े की स्वीकृति या अस्वीकृति का सवाल ही नहीं उठता। कोर्ट ने यह भी कहा की कर्मचारी ने जबइस्तीफ़ा सौंपा उस समय उसके ख़िलाफ़ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई भी लम्बित नहीं थी और ना ही ऐसा करने का सोचा जा रहा था।
कोर्ट ने कहा,“बॉंड सिर्फ़ पाँच साल तक सेवा देने के लिए था और यह अवधि पूरी हो चुकी है। किसी कर्मचारी को इस्तीफ़ा देने से रोकने के लिए और कोई नियम या अवरोध नहीं है और ना ही किसी नियोक्ता को यहअधिकार प्राप्त है कि वह किसी कर्मचारी के इस्तीफ़े को अस्वीकार कर दे।”
इसके बाद पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया और एयर इंडिया द्वारा दिए गए आदेश को भी ख़ारिज कर दिया जिसमें उसने कर्मचारी के इस्तीफ़े को स्वीकार करने से मना कर दिया था।