CBI Vs CBI : ‘ लीक’ से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा केस की सुनवाई 29 नवंबर तक टाली

LiveLaw News Network

20 Nov 2018 3:36 PM GMT

  • CBI Vs CBI : ‘ लीक’ से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा केस की सुनवाई 29 नवंबर तक टाली

    CBI Vs CBI मामले में कई तथ्यों के मीडिया में आने से नाराज चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने मंगलवार को सुनवाई को 29 नवंबर तक टाल दिया। पीठ ने आलोक वर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील फली नरीमन को ‘ द वायर’ के आर्टिकल और सीबीआई के DIG मनीष कुमार सिन्हा की अर्जी भी दी।

    मंगलवार की सुबह सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोई भी वकील सुनने लायक नहीं है और वो सुनवाई नहीं करेंगे। पीठ ने आलोक वर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील फली नरीमन को ‘ द वायर’ का आर्टिकल दिया और कहा कि जब अदालत ने कहा था कि गोपनीयता बनी रहनी चाहिए। पीठ ने कहा कि अदालत आलोक वर्मा के वकील के तौर पर नहीं बल्कि एक वरिष्ठ के तौर पर ये कागजात दे रही है।

    वहीं एक घंटे बाद दोबारा पीठ ने फली की बात सुनी और इस दौरान उन्होंने कहा कि आर्टिकल 17 नवंबर का है जबकि आलोक वर्मा की ओर से जवाब 19 नवंबर को दाखिल किया गया।

    चीफ जस्टिस ने फिर सीबीआई के DIG मनीष कुमार सिन्हा की अर्जी भी दी और कहा कि पीठ ने सोमवार को ही इस अर्जी पर सुनवाई से इनकार किया था फिर इस पक्षकार ने कैसे इसे सबको दे दिया। ये आज सभी पेपर में है। पीठ ने कहा कि इस केस में कहा जा चुका कि उच्च स्तर की गोपनीयता की जरूरत है।

    चीफ जस्टिस ने कहा कि ये कोई प्लेटफार्म नहीं है कि कोई भी आए और कुछ भी कह दे। यहां कानूनी अधिकारों का निपटारा होता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो किसी की बात नहीं सुनेंगे।

    सुनवाई के दौरान पीठ ने वकील गोपालशंकर नारायणन पर आपत्ति जताई और कहा कि सोमवार को AOR की बजाए उन्होंने आलोक वर्मा की ओर से कैसे मेंशनिंग की। ये गलत था।

    गोपाल ने कहा कि आलोक वर्मा ने उनसे कुछ और वक्त मांगने को कहा था।

    लेकिन पीठ ने आर्टिकल और कागजात फली नरीमन को दे दिए और सुनवाई 29 तक टाल दी।

    इससे पहले  सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने सोमवार को सीलकवर में CVC रिपोर्ट पर अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया जब कोर्ट ने मंगलवार को होने वाली सुनवाई टालने के इनकार कर दिया।

    सोमवार को आलोक वर्मा की ओर ये पेश वकील गोपाल शंकरनारायन ने जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और वक्त की मांग की थी। लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि वो 20 नवंबर की सुनवाई को नहीं टालेंगे। इसलिए जितनी जल्दी हो सके, ये जवाब दाखिल किया जाए। ये समय सीमा सोमवार को एक बजे तक थी लेकिन कोर्ट ने कहा कि तीन बजे तक जवाब दाखिल हो जाना चाहिए।

    इससे पहले 16 नवंबर को CBI Vs CBI मामले में सुप्रीम कोर्ट ने CVC की रिपोर्ट देखने के बाद इसे कई बातों का मिश्रण बताया था। साथ ही कोर्ट ने कहा कि आलोक वर्मा के खिलाफ कुछ आरोपों पर रिपोर्ट उनके पक्ष में है  जबकि कुछ ख़ास आरोपों पर रिपोर्ट बहुत ज्यादा असंतोषजनक है।

    चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ,जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने वर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील फली नरीमन को कहा था कि कुछ भी फैसला करने से पहले पीठ आलोक वर्मा का जवाब देखना चाहती है। वो सोमवार दोपहर एक बजे तक सीलकवर में रिपोर्ट दाखिल करें।

    सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रिपोर्ट को अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और CVC की ओर से पेश SG तुषार मेहता को भी देने को निर्देश दिए।

    हालांकि पीठ ने राकेश अस्थाना को रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई की साख बचाए रखने के लिए रिपोर्ट को गोपनीय बनाए रखा जाना चाहिए।

    इससे पहले 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार तक टाल दी थी। इस दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने CVC पर जांच रिपोर्ट दाखिल करने में देरी पर नाराजगी जाहिर की थी। हालांकि सोमवार को CVC ने सीलकवर में जांच रिपोर्ट और 23 अक्तूबर के बाद से अंतरिम निदेशक के तौर पर एम नागेश्वर राव द्वारा लिए गए फैसलों की सूची पीठ को सौंपी गई। दरअसल 26 अक्तूबर को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने CVC को दो हफ्ते में आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच पूरी कर सील कवर में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस ए के पटनायक को जांच की निगरानी का जिम्मा सौंपा था। कोर्ट  ने ये भी निर्देश दिए थे कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव कोई भी  नीतिगत फैसले नहीं लेंगे। कोर्ट ने 23 अक्तूबर से 26 अक्तूबर तक जांच अफसरों के ट्रांसफर समेत तमाम फैसलों की सील कवर में सूची मांगी थी।

    गौरतलब है कि छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश के खिलाफ सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने 23 अक्तूबर को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया। इसके साथ ही ज्वाइंट डायरेक्टर एम. नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। करीब 13 अधिकारियों का तबादला भी कर दिया गया।

    इससे पहले स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना   के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोप में सीबीआई ने FIR दर्ज की है। FIR को रद्द करने की मांग को लेकर अस्थाना दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे और उन्हें   कोर्ट से राहत मिल चुकी है।

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