चार्जशीट दाख़िल होने के बाद भी एफआईआर को निरस्त करने की याचिका पर ग़ौर हो सकता है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

17 Nov 2018 4:02 PM GMT

  • चार्जशीट दाख़िल होने के बाद भी एफआईआर को निरस्त करने की याचिका पर ग़ौर हो सकता है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एफआईआर को निरस्त  करने के लिए आवेदन पर हाइकोर्ट उस समय भी ग़ौर कर सकता है जब याचिका के लम्बित होने के दौरान चार्जशीट दायर किया जाता है।

    सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे और एल नागेश्वर राव की पीठ ने यह फ़ैसला उस याचिका पर ग़ौर करते हुए सुनाया जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के उस फ़ैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें आनंद कुमार मोहट्टा के ख़िलाफ़ एफआईआर को निरस्त करने से मना कर दिया गया था।

    सुप्रीम कोर्ट में इस अपील के लम्बित रहने के दौरान चार्जशीट दायर किया गया और मोहट्टा ने एक आवेदन दायर कर अपने ख़िलाफ़ एफआईआर को निरस्त करने की माँग की थी।

    हाईकोर्ट ने यह कहते हुए एफआईआर को निरस्त करने से मना कर दिया था कि अब मामला एफआईआर के हद से आगे बढ़ गया है और इस मामले में चार्जशीट दाख़िल हो चुका है।

    सीआरपीसी की धारा 482 की चर्चा करते हुए पीठ ने कहा, “इस धारा में ऐसा कुछ नहीं है जो कोर्ट को न्याय के रास्ते में आने वाली बाधा को दूर करने के अधिकार से रोकता है। क़ानून में यह पूर्ण रूप से स्थापित है कि हाईकोर्ट धारा 482 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग उस समय भी कर सकता है जब निचली अदालत में डिस्चार्ज संबंधी आवेदन लम्बित है…निस्सन्देह, अधिकार इसलिए दिए जाते हैं ताकि किसी भी अदालत की प्रक्रिया के दुरुपयोग की ताक़त को रोका जा सके।”

    पीठ ने इस बारे में जोसेफ़ सलवाराज ए बनाम गुजरात राज्य मामले में आए फ़ैसले का ज़िक्र किया।

    मोहट्टा के ख़िलाफ़ शिकायात और अभियोगों पर ग़ौर करते हुए पीठ ने कहा कि यह विवाद दीवानी प्रकृति का है और यह आपराधिक नहीं है। कोर्ट ने कहा, “हमरा मत है कि मान लीजिए कि सुरक्षित राशि एक करोड़ रुपए की है जिसका उसने ग़बन कर लिया है तो या विवाद दीवानी विवाद होगा।”

    कोर्ट ने कहा, “हमें यह देखकर ताज्जुब होता है कि शिकायतकर्ता ने यह शिकायत दर्ज कराने के अलावा एक करोड़ रुपए वापस लेने के लिए कोई और प्रयास नहीं किया है। यह कार्रवाई अनुचित और टिकनेवाला नहीं है।” इसके बाद पीठ ने एफआईआर और चार्जशीट दोनों को निरस्त कर दिया।


     
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