Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 11 के तहत कोर्ट CPC के आदेश 2 के नियम 2 को लागू नहीं कर सकता : दिल्ली हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
17 Nov 2018 3:39 PM GMT
मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 11 के तहत कोर्ट CPC के आदेश 2 के नियम 2 को लागू नहीं कर सकता : दिल्ली हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]
x

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि कोर्ट किसी दावे की उपयुक्तता के प्रश्न पर कोड ऑफ़ सिविल प्रोसीजर (सीसीपी) आदेश 2 के नियम 2 के तहत ग़ौर नहीं कर सकता जब वह मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 की धारा 11 के तहत मामले की सुनवाई कर रहा है।

न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा कि याचिकाकर्ता के दावे आदेश 2 के नियम 2 द्वारा रोके जाएँगे या नहीं इसका निर्णय करना अधिनियम की धारा 11 के तहत इस अदालत का काम नहीं है।

CPC के आदेश 2 के नियम 2 में कहा गया है कि जहाँ वादी मुकदमा नहीं करता या जानबूझकर अपने दावे का कोई हिस्सा छोड़ देता है तो बाद में वह छोड़े गए हिस्से का दावा करते हुए मुक़दमा नहीं कर सकता।

कोर्ट धारा 11 के तहत दायर मामले की सुनवाई कर रहा था जिसमें प्रतिवादी रेल लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (RLDA) की ओर से एक मध्यस्थ की नियुक्ति की माँग की गई थी ताकि मध्यस्थता अधिकारन का गठन हो सके RLDA और पार्श्वनाथ डेवलपर्स लिमिटेड के बीच विवाद को सुलझाया जा सके।

RLDA ने किसी मध्यस्थ को नामित किए जाने से यह कहते हुए मना कर दिया कि दोनों के बीच सुलह की प्रक्रिया पिछले नवम्बर में ही पूरी हो चुकी है। उसने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने अब जिन दावों को उठाया है उस पर CPC के आदेश 2 के नियम 2 के तहत पाबंदी है।

दूसरी ओर, याचिकाकर्ता ने कोर्ट का ध्यान मध्यस्थता की पिछले कार्रवाई के दौरान दावे के बायान की ओर दिलाया जिसमें उसने अपने दावे को अलग मध्यस्थता प्रक्रिया के रूप में पेश करने का अधिकार सुरक्षित रखा था।

कोर्ट ने दलील सुनने के बाद फ़ैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में दिया और कहा की मध्यस्थता के समझौते की शरण में कई बार जाया जा सकता है और पहली बार इसको लागू करने के बाद यह समाप्त नहीं हो जाता।


 
Next Story