निचली अदालत के फैसले को सही ठहराने वाले फैसले अपीलीय न्यायालय के फैसले के 12 साल के भीतर दायर की गई निष्पादन याचिका सीमाबद्धता से प्रतिबंधित नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
31 Oct 2018 12:07 AM IST
‘विलय का सिद्धान्त अपीली प्राधिकरण द्वारा फैसले को बदलने, उसको संशोधित करने या फैसले की पुष्टि करने में किसी तरह का भेद नहीं करता”।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निचली अदालत के फैसले की पुष्टि करते हुए उच्च न्यायालय के फैसले के 12 वर्षों के भीतर दायर निष्पादन याचिका किसी सीमा से बंधा नहीं होगा।
इस मामले में, मकान मालिक ने एक मुकदमा दायर किया जिसका फैसला किरायेदार के खिलाफ आया। जब 2003 में उच्च न्यायालय के इस फैसले की पुष्टि के बाद मकान मालिक ने 2006 में निष्पादन याचिका दायर की तो किरायेदार ने इस पर आपत्ति जताई कि यह याचिका 14 अगस्त 1981 को फैसला आने के 12 वर्षों के भीतर दायर नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति एनवी रमना और न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनगौदर की पीठ ने चंडी प्रसाद बनाम जगदीश प्रसाद मामले में आए फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सीपीसी की धारा 2 (2) के तहत फैसला लागू होगा भले ही वह निचली अदालत का फैसला हो, या पहली अपीली कोर्ट का या फिर दूसरी अपील कोर्ट का।
इस मामले के संदर्भ में, खंडपीठ ने कहा कि, प्रथम अपीली न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी और दूसरी अपीली अदालत ने भी इसकी पुष्टि की और इसलिए उच्च न्यायालय का आदेश विलय के सिद्धांत को ध्यान में रखकर लागू किया जा सकता है।