Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, बाल अश्लीलता से निपटने के लिए 15 नवंबर तक एसओपी को अंतिम रूप दें

LiveLaw News Network
23 Oct 2018 8:50 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, बाल अश्लीलता से निपटने के लिए 15 नवंबर तक एसओपी को अंतिम रूप दें
x

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को 15 नवंबर तक बाल अश्लीलता से जुड़े शिकायतों से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने जोर देकर कहा, "हम इस समय सीमा को निर्धारित करने के लिए बाध्य हैं क्योंकि भारत सरकार के पास पिछले दो माह से मानक संचालन प्रणाली और इसके पोर्टल पर काम करने का अनुभव हो चुका है और इस प्रक्रिया के बारे में कोई अंतिम निर्णय होना चाहिए”।

वर्ष 2015 में बाल तस्करी के खिलाफ काम करने वाले हैदराबाद के एक एनजीओ प्रज्वला के पत्र पर स्वतः संज्ञान लेते हुए याचिका दायर की थी और इस पर सुनवाई के क्रम में पीठ ने यह दिशानिर्देश जारी किया।

प्रज्वला का यह पत्र भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू को संबोधित किया गया था और उनको भेजे एक पेन ड्राइव में दो बलात्कार वीडियो भी थे। पत्र में मांग की गई थी कि इन वीडियो को अपलोड होने से रोकने के लिए गृह मंत्रालय मैसेजिंग सिस्टम और वेबसाइटों के साथ समझौता करे। पत्र में साइबर अपराध के मुद्दों पर विशेष प्रशिक्षण आयोजित करने की भी अपील की गईथी।

 सोमवार को सुनवाई के दौरान, अदालत ने नोट किया कि केंद्र ने साइबर पुलिस पोर्टल के संचालन के लिए मानक संचालन प्रणाली तैयार की है जिसमें बाल अश्लीलता, बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री, बलात्कार/सामूहिक बलात्कार और अश्लील सामग्री से संबंधित शिकायतों का से निपटने की व्यवस्था है।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कोर्ट में कहा कि दस्तावेज़ के पहले संस्करण के बाद से कुछ बदलाव हुए हैं, जो इस साल 18 जून को तैयार किए गए थे। यह समय-समय पर विभिन्न राज्य सरकारों से प्राप्त टिप्पणियों के बारे में था।हालांकि, अदालत ने कहा कि ऐसा कब तक हो जाएगा इस बारे में तय किया जाना चाहिए और इसके बाद भी इसमें सुधार जारी रखा जा सकता है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "…राज्य सरकारों से प्राप्त होने वाले सुझाव एक जारी रहने वाली प्रक्रिया हो सकती है,हमारा कहना है कि एसओपी का को अंतिम रूप कब दिया जाएगा इस बारे में एक तिथि का निर्धारण अवश्य किया जाए। इस तरह हम यह तिथि 15 नवंबर 2018 निर्धारित कर रहे हैं। जाहिर है, इसका यह मतलब नहीं है कि अगर जरूरत है तो समय समय पर इसमें सुधार नहीं किया जा सकता है”।

 एसओपी की एक प्रति अदालत के समक्ष मध्यस्थों को दी गई थी, साथ ही अमीकस क्यूरी सुश्री एनएस नप्पीनाई और याचिकाकर्ता के वकील को निर्देशित किया गया था। उन्हें 9 नवंबर तक गृह मंत्रालय को अपने सुझाव जमा करने का निर्देश दिया गया है।

 अदालत ने निर्देश दिया कि एसओपी के एक प्रति कोर्ट के संबंधित अधिकारियों के अलावा अमीकस क्यूरी और याचिकाकारता के वकील को भी दिया जाए। इन लोगों को 9 नवंबर तक गृह मंत्रालय को अपने सुझाव दे देने को कहा गया है।

 "यह इंगित किया गया है कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने 22 अक्तूबर 2018 तक 43 नोटिस किए पर इसके बदले पास किए गए आदेशों की संख्या केवल 21 है। शेष 22 का क्या हुआ इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 22अक्टूबर, 2018 को जारी किए गए हैं, लेकिन पास किए गए आदेशों की कुल संख्या केवल 21 है। इसी तरह, कुल 630 शिकायतें आईंलेकिन पूछताछ के लिए सिर्फ 355 चुने गए। शेष शिकायतों का क्या हुआ इस बारे में भी कुछ भी स्पष्ट नहीं है,” कोर्ट ने कहा।

 इसके बाद कोर्ट केंद्र ने केंद्र को एक हलफनामा दर्ज करने का निर्देश दिया जिसमें प्राप्त शिकायतों की संख्या और अधिक स्पष्टता के लिए एक सारणीबद्ध रूप में की गई कार्रवाई का उल्लेख करने को कहा गया।

 इसके अलावा, सुश्री आनंद ने अदालत को सूचित किया कि एक शिकायत निवारण तंत्र भी बनाया जा रहा है, पर इसमें अभी समय लगेगा। आदेश के मुताबिक, इस बात पर विचार किया जा रहा है कि सभी नोडल अधिकारियों के नाम पोर्टल पर डाले जाएंगे ताकि जनता उस व्यक्ति के बारे में जान सके जिसे वे इंटरनेट पर आपत्तिजनक सामग्री के मामले में संपर्क कर सकते हैं।

इस बीच, अदालत ने नोडल अधिकारी से बेहतर एक अधिकारी की पहचान का आदेश दिया, जो नोडल अधिकारी के विचारों के साथ किसी भी असहमति के मामले में अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य कर सकता है।

 सुनवाई की अगली तारीख से पहले केंद्र 22 नवंबर को नवीनतम स्थिति रिपोर्ट दायर करेगी।


 
Next Story