जीएसटी अधिनियमों के तहत लॉटरी पर कर लगाया जा सकता है: कलकत्ता हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
20 Oct 2018 6:58 PM IST
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा है कि केंद्रीय और राज्य वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम (जीएसटी) के तहत लॉटरी पर कर लगाया जा सकता है।
न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक ने इस बारे में एक रिट याचिका खारिज कर दी जिसमें कोर्ट से यह घोषित करने का अनुरोध किया गया था की लॉटरी पर केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 72 और राज्य वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017की धारा 72 के तहत कर नहीं लगाया जा सकता।
यह तर्क दिया गया था कि लॉटरी टिकट की बिक्री किसी 'माल' या यहां तक कि किसी चल संपत्ति में लाभकारी ब्याज का हस्तांतरण नहीं है और जो व्यक्ति लॉटरी टिकट बेचता है वह कोई भी सामान नहीं बेच रहा है और न ही किसी सामान की खरीदार ही कर रहा है। इस प्रकार लॉटरी सीजीएसटी अधिनियम, 2017 या किसी भी एसजीएसटी अधिनियम के तहत 'वस्तु'की परिभाषा में नहीं आ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए, अदालत ने कहा कि लॉटरी एक 'actionable claim’ और वस्तु या चल संपत्ति है। इसमें यह भी कहा गया है कि केंद्रीय वस्तु और सेवा कर अधिनियम के साथ-साथ पश्चिम बंगाल वस्तु और सेवा कर अधिनियम, 2017 के तहत लॉटरी पर कर लगाया जा सकता है। अदालत ने कहा : “सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 7 के तहत अनुसूची-III ऐसी गतिविधियों या लेन-देन का जिक्र किया गया है जिसे न तो माल की आपूर्ति और न ही सेवाओं की आपूर्ति माना जाएगा। सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के अनुसूची-III की प्रविष्टि 6 इस तरह के अधिनियम के दायरे से लॉटरी,सट्टेबाजी और जुए के अलावा ‘actionable claim’ (कार्रवाई योग्य दावे) को निकाल दिया है। चूंकि लॉटरी को आम तौर पर‘वस्तु’ बोला जा रहा है और ‘क्रियाशील दावों’ की परिभाषा के तहत रखा गया है और ‘क्रियाशील दावों’ पर सीजीएसटी,2017 के तहत कर नहीं लगता है इसलिए लॉटरी पर सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के तहत कर वसूला जा सकता है। के लिए चार्ज किया गया। इसी तर्क के आधार पर, लॉटरी पर डब्ल्यूबी जीएसटी अधिनियम, 2017 के तहत भी कर वसूला जा सकता है”।
पीठ बेंच के उस अंतरिम लेवी को सही बताते हुए, कोर्ट ने कहा: “17 वीं बैठक में भारत के संविधान के अनुच्छेद 279 ए के तहत स्थापित वस्तु और सेवा कर परिषद में लॉटरी पर लगाए जाने वाले कर की दर के संबंध में व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया गया। 18 जून, 2017 को आयोजित 17वें वस्तु और सेवा कर परिषद की बैठक में कर की अलग-अलग दर पेश की गई थी। इस तरह की बैठक में न्यायालय के सामने राज्य (के प्रतिनिधि) भी मौजूद थे। व्यापक विचार-विमर्श के बाद, जीएसटी परिषद ने वर्तमान में लॉटरी के संबंध में दरों को मंजूरी दे दी थी। परिषद इस तरह के कर की दर तय करने का अधिकार रखता है”।