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यौन उत्पीड़न के बारे में बोलने के लिए काफी हिम्मत चाहिए : दिल्ली हाईकोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को संवेदनहीन और मानवीय समझ नहीं होने की बात कही [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
17 Oct 2018 7:20 AM GMT
यौन उत्पीड़न के बारे में बोलने के लिए काफी हिम्मत चाहिए : दिल्ली हाईकोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को संवेदनहीन और मानवीय समझ नहीं होने की बात कही [निर्णय पढ़ें]
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दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 साल की एक लड़की के साथ बलात्कार के लिए बुधवार को 21 साल के एक युवक को दोषी ठहराया। कोर्ट ने इस मामले में संवेदनशीलता और मानवीय समझ नहीं दिखाने के लिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) को आड़े हाथों लिया।

 न्यायमूर्ति विपिन सांघी और आईएस मेहता की पीठ ने कहा, “यौन अपराध पीड़ित और उसके परिवार के सदस्यों के लिए लज्जा, और शर्मिंदगी की बात समझी जाती है। इस अपराध के बारे में बोलना आसान नहीं है और इसके लिए काफी हिम्मत चाहिए। अगर पीड़ित छोटे बच्चे हैं और उन्हें गंभीर परिणाम होने की धमकी दी गई है तो यह और ही मुश्किल होता है।  दुर्भाग्य से, एएसजे ने इस मामले में उपलब्ध सबूतों पर गौर करते हुए पूर्ण संवेदनहीनता और मानवीय समझ नहीं होने का परिचय दिया है”।

 कोर्ट राज्य द्वारा दायर अपील की सुनवाई कर रहा था जिसमें सुमित कुमार नामक एक व्यक्ति को बारी किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में कुछ विरोधाभास और अनियमितता पाई थी और कहा कि अभियोजन पक्ष के मामले के बारे में इसने संदेह उत्पन्न किया।

 एएसजे ने इस बात पर ज्यादा ज़ोर दिया कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि लड़की की उम्र 12 वर्ष से कम है। राज्य के वकील ने कहा कि एएसजे इस आधार पर आगे बढ़े कि अगर लड़की की उम्र का निर्धारण नहीं हो पाया कि वह घटना के दिन 12 साल से कम उम्र की थी, तो कोई भी अपराध नहीं बनता है।

 पीठ ने कहा कि एएसजे का यह सोचना गलत था। कोर्ट ने सभी साक्ष्यों की पड़ताल के बाद निष्कर्षतः कहा कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष निकालना कि लड़की की उम्र 12 साल से कम नहीं थी, पूरी तरह गलत और इस बारे में पेश किए गए रिकॉर्ड के विपरीत है। पीठ ने यह भी कहा कि लड़की के बयान में कहीं भी विरोधाभास या आस्थिरता नहीं है।

 इसके बाद कोर्ट ने उक्त फैसले को निरस्त कर दिया और सुमित को बलात्कार का दोषी करार दिया। कोर्ट ने उसे पोक्सो अधिनियम के तहत दोषी माना।

 

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