Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

पश्चिम बंगाल सरकार का दुर्गा पूजा के लिए धन देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में, शुक्रवार को ही सुनवाई

LiveLaw News Network
11 Oct 2018 12:31 PM GMT
पश्चिम बंगाल सरकार का दुर्गा पूजा के लिए धन देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में, शुक्रवार को ही सुनवाई
x

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को विचार करने पर सहमति जताई है जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार के दुर्गा पूजा समारोहों के लिए धन उपलब्ध कराने के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई  के समक्ष इस मामले का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि  इस तरह रुपये के खर्च के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं है जबकि पूजा उत्सव के लिए सरकार द्वारा 28 करोड़ रूपये निर्धारित किए गए हैं। TMC सरकार ने राज्य में 28,000 दुर्गा पूजा समितियों को 10,000 रुपये देने का फैसला किया है। सीजेआई ने शुक्रवार को सूचीबद्ध करने के लिए याचिका को मंजूर कर लिया। ।

इस निर्णय को राज्य के दो निवासियों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी कि धार्मिक त्यौहार का सार्वजनिक वित्त पोषण धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है।

"किसी भी 'धार्मिक स्थान' की मरम्मत / पुनर्गठन / निर्माण के लिए करदाताओं के पैसे का उपयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 27 की भावना के विपरीत है। भारत का संविधान राज्य को किसी भी व्यक्ति को कर चुकाने के लिए मजबूर करने से रोकता है, जिसमें से किसी भी विशेष धर्म या धार्मिक संप्रदाय को बढ़ावा देने के लिए खर्च किया जाना हो। इसलिए दुर्गा पूजा का आयोजन करने के लिए अनुदान से संबंधित राज्य का निर्णय असंवैधानिक है और इसे रद्द किया जाना चाहिए,”  उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था।

उच्च न्यायालय की खंडपीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश देबाशीष कर गुप्ता और न्यायमूर्ति संपा सरकार ने कहा कि विधायिका राज्य सरकार द्वारा व्यय पर फैसला करने के लिए उपयुक्त मंच है। यह बताते हुए कि अदालत इस चरण में दुर्गा पूजा समितियों को धन बांटने के सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है, हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि अदालत बाद में चरण में हस्तक्षेप कर सकती है जब दायरा उत्पन्न होता है।

एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया था कि धन का इस्तेमाल पुलिस यातायात सुरक्षा अभियान के तहत पुलिस की सहायता के लिए किया जाना है न कि किसी धार्मिक उद्देश्य के लिए।

उच्च न्यायालय के फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है कि “ अदालत इस बात को समझने  में नाकाम रही कि दुर्गा पूजा का आयोजन करने में कोई सार्वजनिक उद्देश्य नहीं है बल्कि यह धार्मिक कार्यक्रम है।”

Next Story