सीधे भर्ती हुए लोगों की वरिष्ठता तय करने में भर्ती होने की तिथि का कोई मतलब नहीं; सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब न्यायिक अधिकारियों की वरिष्ठता सूची को बदला [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

5 Oct 2018 12:47 PM IST

  • सीधे भर्ती हुए लोगों की वरिष्ठता तय करने में भर्ती होने की तिथि का कोई मतलब नहीं; सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब न्यायिक अधिकारियों की वरिष्ठता सूची को बदला [निर्णय पढ़ें]

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों की वरिष्ठता सूची को बदल दिया है।

    यह अपील पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई थी जिसने प्रशासनिक पक्ष में हाईकोर्ट की वरिष्ठता सूची में हस्तक्षेप किया था।

    इन न्यायिक अधिकारियों की तीन तरह से भर्ती हुई थी - 1) योग्यता-सह-वरिष्ठता आधार पर 50 प्रतिशत प्रोमोशन कोटा के आधार पर 2) 25% की प्रत्यक्ष भर्ती और 3) 25% की प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा में उनकी सफलता के आधार पर भर्ती।

    वरिष्ठता का निर्धारण 2008 में उनकी भर्ती के आधार पर की गई और निर्धारित तिथि को इनकी संख्या 107 थी। इस वरिष्ठता सूची को सीधे भर्ती हुए और बिना बारी के प्रोमोशन पाए लोगों ने चुनौती दी। इन लोगों का कहना था की जिनको प्रोमोशन दिया गया उनकी भर्ती निर्धारित 50% के कोटा के बाहर था।

    हाईकोर्ट का कहना था की जिनको प्रोमोशन दिया गया उनकी संख्या जरूरत से अधिक थी इसलिए इस प्रोमोशन को कोटा से अधिक माना जाएगा और उनकी वरिष्ठता उस दिन से माने जाएगी जिस दिन उनका पद कोटा के तहत उपलब्ध होगा। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सीधी भर्ती के लिए जिस तिथि की अनुशंसा की गई थी उसे वरिष्ठता का आधार नहीं माना जाएगा। और इस तरह, वरिष्ठता की सूची को दुबारा तैयार करने को कहा गया।

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के प्रशासनिक विभाग ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

    कोटा कैडर से जुड़ा है रिक्तियों से नहीं

    सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति एके सिकरी और अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि कोटा कैडर से संबंधित है रिक्तियों से नहीं। हाईकोट ने कहा कि 107 में से 58 ऐसे थे जिन्हें प्रोमोशन दिया गया और यह 50% के कोटे से 5 अधिक है।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2004 तक प्रोमोशन कोटा 75% था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने 2004 से पहले हुई भर्तियों को ध्यान में रखा और इस आधार पर अपना निष्कर्ष निकाला।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस विशेष वर्ष में भर्ती के लिए खाली पद को यांत्रिक रूप से बांटा नहीं जा सकता कि यह 50, 25,और 25 प्रतिशत के रूप में होगा।

    कोर्ट ने कहा कि नौकरी जॉइन करने की तिथि वरिष्ठता का आधार नहीं होगा।

    इस आधार पर न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने इस सूची को दुबारा तैयार करने को कहा।


     
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