सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा में कुली समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने को सही ठहराया [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

30 Sep 2018 2:04 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा में कुली समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने को सही ठहराया [निर्णय पढ़ें]

    सामान्य रूप से जब अंग्रेजी के किसी शब्द के अंत में “s” लगाया जाता है तो वह बहुवचन हो जाता है । पर इस ‘s’ की वजह से एक मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया। ‘कुलीज’ को ‘कुली’ का बहुवचन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट को व्याकरण की जानकारी को उद्धृत करना पड़ा।

    ओडिशा के कुली समुदाय को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, 1976 के अनुच्छेद II के अध्याय XII में जिस ‘कुलीज’ का जिक्र किया गया है वे ‘कुली’ समुदाय के हैं।

    उड़ीसा हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, “...पहले राष्ट्रपति और बाद में संसद ने ‘कुलीज’ का प्रयोग ‘कुली’ के बहुवचन के रूप में किया है। इसकी कोई अन्य व्याख्या का मतलब यह होगा कि ‘कुलीज’ जनजाति को मिलने वाली सुविधाओं का कोई लाभ नहीं उठा पाएगा”।

    राष्ट्रपति के आदेश में ‘कुलीज’ शब्द का प्रयोग किया गया है। राज्य का कहना था कि “कुली” समुदाय के लोग अनुसूचित जनजाति का होने का लाभ नहीं उठा सकता। हालांकि राज्य ने इससे पहले जीतने भी हाईकोर्ट के फैसले आए उसको चुनौती नहीं दी थी, पर उसने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘कुलीज’ को ‘कुली’ में शामिल मानकर गलती की है।

    पहले आए फैसलो का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि यद्यपि इस मामले में कोर्ट का अधिकार काफी सीमित है और कोर्ट राष्ट्रपतीय आदेश को न तो बदल सकता है, न उसमें परिवर्तन ला सकता है, न किसी को इस सूची में डाल सकता है और न ही हटा सकता है, पर उसे इस आदेश को इस तरह से पढ़ा जाना चाहिए कि किसी जाति या जनजाति जिसको कि इस सूची में रखे जाने की मंशा है, उसे इसके बाहर न रख दिया जाए।

    इस मामले में राज्य की पैरवी अधिवक्ता शिबाशीश ने की जबकि दूसरे पक्ष की ओर से दलील वी गिरि ने पेश की।




    • हिन्दी में इस आदेश में इस‘कुली’ जनजाति को अनुसूचित जनजाति कहा गया है।

    • ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो यह बता सके कि‘कुली’ और ‘कुलीज’ दोनों ही अलग जाति या जनजाति है।

    • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयुक्त की 24वीं रिपोर्ट में संकेत दिया गया कि संबलपुर में अनुसूचित जाति की सूची से‘कुली’ समुदाय को निकाल दिया गया है क्योंकि ‘कुलीज’ को पूरे राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जा चुका है।

    • बहुत सारे दस्तावेजों में‘कुलीज’ और ‘कुली’ को को एक दूसरे की जगह प्रयोग किया गया है और चूंकि जाति और जनजाति को ‘कुली’ के रूप में बताया गया है, पर दोनों को एक साथ ‘कुलीज’ माना गया है।


    कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “...अगर हम ‘कुली’ को ‘कुलीज’ में शामिल नहीं करते हैं तो इसका असर यह होगा कि हम एक जनजाति को जनजातियों की सूची से बाहर कर देंगे। और ऐसा करने का अधिकार किसी अधिकरण या अदालत को नहीं है। हमें इस सूची में शामिल नामों को इस तरह से पढ़ना है ताकि संसद की इच्छा का अनादर न हो...राष्ट्रपति और संसद ने ‘कुलीज’ शब्द का जो अर्थ लगाया है उससे अलग अर्थ लगाने का मतलब यह होगा कि ‘कुलीज’ वर्ग में आने वाला कोई भी इसका लाभ उठाने से वंचित रह जाएगा...इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए ...हमारी राय में अंग्रेजी में‘कुलीज’ में ‘कुली’ समुदाय के लोग शामिल हैं”।

     

    Next Story