किसी आपराधिक मामले में सिर्फ आरोपी होने वाले व्यक्ति पर वकील के रूप में पंजीकृत होने पर रोक नहीं : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
25 Sep 2018 4:34 AM GMT
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी आपराधिक मामले के आरोपी को अगर उसे अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है तो वकील के रूप में उसके पंजीकरण पर कोई रोक नहीं है।
न्यायमूर्ति शील नागु ने न केवल बार काउंसिल को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा बल्कि उसे ब्रज मोहन महाजन को 5000 रुपए का हरजाना भी देने को कहा जिसे वकील के रूप में पंजीकरण की अनुमति नहीं दी गई।
मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल ने ब्रज मोहन को एक आपराधिक मामले मेंआईपीसी की धारा 452, 352, 323, 294 में आरोपी नामजद किए जाने के कारण वकील के रूप में पंजीकरण की अनुमति नहीं। ब्रज मोहन ने इस बात को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
राज्य बार काउंसिल ने हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया का कहना था कि 1961 के अधिनियम के अनुसार अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित है तो उसे इस वजह से वकील के रूप में पंजीकृत होने की अनुमति नहीं दी जा सकती। पर इस फैसले पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि पर वह ऐसा मामला था जिसमें आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दोषी ठहराया गया था।
“…याचिकाकर्ता को अभी तक किसी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है। याचिकाकर्ता को सिर्फ किसी आपराधिक मामले में आरोपी बनाया गया है और अभी तक उसका दोष साबित नहीं हो पाया है। कोर्ट की राय में, याचिकाकर्ता को वकील के रूप में राज्य बार काउंसिल में पंजीकरण की अनुमति देने से इंकार नहीं किया जा सकता है...,” कोर्ट ने कहा।
बार काउंसिल ने कोर्ट को यह भी बताया कि काउंसिल ने एक प्रस्ताव पासकर किसी आपराधिक गतिविधि के आरोपी व्यक्ति को पंजीकरण देने से रोक दिया है। इस पर कोर्ट ने कहा, “एडवोकेट अधिनियम की धारा 24-A पर धारा 24(1)(e) हावी नहीं हो सकता...”।”
कोर्ट ने इसके बाद मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल को निर्देश दिया कि वह पंजीकरण के लिए एडवोकेट अधिनियम की धारा 24 के तहत ब्रज मोहन के आवेदन पर दुबारा गौर करे और उन्हें अधिवक्ताओं की इस सूची में शामिल करे बशर्ते कि वे इस धारा के तहत योग्य हैं ।