मैंग्रोव को नष्ट करना संविधान के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रहार; बॉम्बे हाईकोर्ट ने मैंग्रोव के बचाव के लिए जारी किया ऐतिहासिक निर्देश [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
20 Sep 2018 5:12 AM GMT
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को सम्पूर्ण महाराष्ट्र में मैंग्रोव को बचाने के लिए ऐतिहासिक निर्देश जारी किया।
न्यायमूर्ति एएस ओका और आरआई चागला की खंडपीठ ने कहा कि मैंग्रोव क्षेत्र के 50 मीटर के दायरे में किसी भी तरह की निर्माण गतिविधि की इजाजत नहीं होगी क्योंकि मैंग्रोव से संबंधित सभी भूमि तटीय क्षेत्र विनियमन ज़ोन -1 की श्रेणी में आएगा। कोर्ट ने कहा कि सीआरजेड से संबंधित 1991 और 2011 में जारी सूचना के तहत ऐसा प्रावधान है।
पृष्ठभूमि
कोर्ट ने यह फैसला एक जनहित याचिका पर दी है जिसे बॉम्बे एनवायरनमेंट एक्शन ग्रुप (बीईएजी) ने महाराष्ट्र में मैंग्रोव को बचाने के उद्देश्य से दायर किया है।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि मैंग्रोव समुद्र तट को कटाव, तेज हवा और तूफान से बचाते हैं क्योंकि मैंग्रोव जमीन और समुद्र के बीच बहुत ही रणनीतिक स्थान पर मौजूद होते हैं।
इससे पहले 6 अक्तूबर 2005 में भी कोर्ट ने मैंग्रोव को बचाने को लेकर अन्तरिम आदेश जारी किया था ।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की पैरवी नवरोज सीरवाई ने की। उन्होने कहा कि शहर और औद्योगिक विकास निगम (सिड्को) और मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमारदीए) ने अपने कब्जे वाली वन विभाग की मैंग्रोव की जमीन वापस नहीं की है जबकि उनको अक्तूबर 2005 में ही ऐसा करने को कहा गया था।
फैसला
कोर्ट ने कहा, “मैंग्रोव को नष्ट करना अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रहार है। अनुच्छेद 21, 47, 48ए और 51ए(g) के प्रावधानों के अनुरूप मैंग्रोव को बचाना और संरक्षित करना राज्य का कर्तव्य है”।
इसके बाद कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश पास किया -
(I) सम्पूर्ण महाराष्ट्र में कहीं भी मैंग्रोव को नष्ट नहीं किया जाएगा।
(II) मैंग्रोव क्षेत्र में कूड़ा/कचरा/ठोस कचरा फेंकने पर तत्काल पाबंदी।
(III) मैंग्रोव वाली जमीन भले ही किसी की हो, उसके 50 मीटर के क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर प्रतिबंध होगा।
(IV) राज्य सरकार एक समिति गठित करेगी जो मैंग्रोव को बचाने और उसको संरक्षित करने के लिए जिम्मेदार होगी।
(v) राज्य सरकार आज से तीन माह के भीतर शिकायत दूर करने की व्यवस्था कायम करेगी ताकि आम लोग मैंग्रोव को नष्ट किए जाने के बारे में शिकायत दर्ज करा सके।
(VI) राज्य सरकार को निर्देश है कि वह उस जमीन पर दुबारा मैंग्रोव लगाए जहां इसे नष्ट कर दिया गया है और मैंग्रोव क्षेत्र को अवैध कब्जे से मुक्त कराए।
(VII) राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत धारा 15 का उल्लंघन करने वालों को सजा दिलाने के लिए आपराधिक कानून को लागू किया जाता है, यह सुनिश्चित करेगी।
इस मामले की अगली सुनवाई अब 1 दिसंबर को होगी।