Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने 50 लाख मुआवजा और केरल पुलिस के अफसरों की भूमिका की जांच के लिए कमेटी गठित की [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
14 Sep 2018 12:47 PM GMT
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने 50 लाख मुआवजा और केरल पुलिस के अफसरों की भूमिका की जांच के लिए कमेटी गठित की [निर्णय पढ़ें]
x

जासूसी कांड के आरोप से दोषमुक्त हुए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नंबी नारायणन को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने वैज्ञानिक को इस प्रताड़ना के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए है।  नंबी नारायण को फंसाने के मामले में केरल के पुलिस अफसरों की भूमिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस डीके जैन की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा है कि सालों तक जो प्रताड़ना नंबी नारायणन ने झेली है उसका विकल्प नहीं हो सकता लेकिन संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने और आजादी के अधिकार के तहत पीड़ा, चिंता और उपचार की भरपाई करने के लिए, किसी भी संदेह के बिना उपयुक्त मुआवजे से सम्मानित किया जाना चाहिए। इसलिए 8 सप्ताह के भीतर केरल सरकार द्वारा मुआवजे का भुगतान किया जाना हैं। हम सोचते हैं कि वास्तविक तथ्यों को प्राप्त करने के लिए केरल पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ उचित कदम उठाने के तरीकों और साधनों का पता लगाने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए जिसका नेतृत्व इस अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीके जैन द्वारा किया जाएगा।

केंद्र सरकार और राज्य सरकार को प्रत्येक अधिकारी को नामित करने का निर्देश दिया जाता है ताकि पर्याप्त कार्रवाई की जा सके।

इससे पहले जासूसी कांड के आरोप से दोषमुक्त हुए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नंबी नारायण की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

नंबी नारायण ने अपनी अर्जी में केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यू और दो सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक के के जोशुआ और एस विजयन के खिलाफ  के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

दरअसल सिबी मैथ्यू ने ही इस जासूसी कांड की जांच की थी। कथित तौर पर इन पुलिस अफसरों ने इसरो के जासूसी मामले के संबंध में यातना और अवैध हिरासत में रखा था। दरअसल

केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ नंबी नारायणन शीर्ष अदालत में चले गए जिसमें  केरल सरकार के केरल पुलिस के अधिकारियों - सिबी मैथ्यू (पूर्व एडीजीपी) और दो अन्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही छोड़ने का फैसला किया गया।

 हालांकि सिंगल जज ने अधिसूचना रद्द कर दी थी, लेकिन खंडपीठ ने सिंगल जज के आदेश को उलट दिया था। केरल पुलिस से जांच लेने वाली सीबीआई ने पाया था कि नंबी नारायणन के खिलाफ मामला निराधार है और क्लोजर

रिपोर्ट दाखिल की गई। सीबीआई रिपोर्ट में केरल पुलिस के अधिकारियों द्वारा की गई कई चूक भी सूचीबद्ध हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई।

1998 में सुप्रीम कोर्ट ने जासूसी मामले में मुक्त होने के बाद नंबी नारायण को एक लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था। बाद में नंबी नारायण ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया और राज्य सरकार से मुआवजे की मांग की। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मार्च 2001 में नंबी नारायण को दस लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया।


 
Next Story