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रेलवे को अपने कर्मचारियों की सेवा शर्तों को तैयार करने का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
9 Sep 2018 4:08 PM GMT
रेलवे को अपने कर्मचारियों की सेवा शर्तों को तैयार करने का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
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हमारा यह भी मानना है कि आईआरईएम को वैधानिक अधिकार है और इसे संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत जारी किया गया है”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रेलवे कार्मिक  प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा जारी मेमोरेंडम  नहीं है और वह अपने कर्मचारियों की सेवा संबंधित नियम बनाने  लिए स्वतंत्र है।

न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, एस  अब्दुल नज़ीर और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा  कि भारतीय रेलवे एस्टेब्लिशमेंट मैनुअल (आईआरईएम) वैधानिक निकाय है और इसे संविधान अनुच्छेद 309  तहत उपलब्ध अधिकारों का प्रयोग करते हुए जारी किया गया है।

प्रभात रंजन सिंह बनाम आरके कुशवाहा मामले में मुख्य सवाल यह था कि  क्या रेलवे डीओपीटी द्वारा बनाए गए नियमों को मानने के लिए बाध्य है और वह अपना नियम बना सकता है। और यह भी कि आईआरईएम वैधानिक है या नहीं।

पीठ ने एलोकेशन ऑफ़ बिज़नेस रूल्स, 1961  का उल्लेख करते हुए कहा कि रेलवे को डीओपीटी के अधिकारक्षेत्र से बाहर रखा गया है भले ही वह पदों के  वर्गीकरण के लिए हो, मंत्रालयीय कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए, सिविल पोस्ट पर गैर भारतीयों की नियुक्ति के लिए या कर्मचारियों की सेवा शर्तों के निर्धारण के लिए….  डीओपीटी रेलवे को बाध्यकारी सर्कुलर जारी नहीं कर सकता।

हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं की अगर डीओपीटी ने कोई सर्कुलर जारी किया और रेलवे  स्वीकार कर लिया तो तब तो वह सर्कुलर लागू होगा पर अगर इस सर्कुलर को रेलवे लागू करने योग्य नहीं मानता तो यह रेलवे और इसके कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा …”

कोर्ट ने यह भी कहा कि  रेलवे को अपने कर्मचारियों के लिए नियम बनाने और सेवा की शर्तों को निर्धारित करने का अधिकार है.

आईआरईएम  साथ हुए संवाद पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि  ये सर्कुलर संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत जारी  किये गए हैं।


 
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